हाजी अली दरगाह प्रबंधन तैयार, महिलाओं को मिली प्रवेश की मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ के सामने ट्रस्ट का पक्ष रखने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि दरगाह ट्रस्ट महिलाओं को दरगाह के मुख्य स्थान पर प्रवेश देने के लिए तैयार है। साथ ही ट्रस्ट ने जरूरी अवसंरचनात्मक बदलाव करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा जिसपर पीठ ने ट्रस्ट को समय देते हुए बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी अपील का निपटान किया। बंबई उच्च न्यायालय ने आदेश में महिलाओं को भी प्रवेश का समान अधिकार देने के लिए कहा था। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने उम्मीद जताई थी कि उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध करने वाला ट्रस्ट प्रगतिवादी रूख अपनाएगा। सुब्रमण्यम ने पीठ को यह भी आश्वासन दिया कि वह एक प्रगतिवादी अभियान पर हैं और सभी पवित्र पुस्तकें एवं धर्मग्रंथ समानता को बढ़ावा देते हैं और ऐसा कोई भी सुझाव नहीं दिया जाएगा जो प्रतिगामी हो।
इससे पहले पीठ ने यह भी कहा कि यदि आप एक तय स्थान के पार पुरूषों और महिलाओं दोनों को जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, तो कोई समस्या नहीं है। लेकिन यदि आप एक तय स्थान से आगे जाने की अनुमति कुछ लोगों को देते हैं और कुछ को नहीं तो यह एक समस्या है। महिलाओं को दरगाह के मुख्य स्थान पर प्रवेश न देने की ट्रस्ट की इस प्रथा को चुनौती देने वाली महिलाओं के समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा था कि वर्ष 2011 से पहले की स्थिति आज की स्थिति से अलग थी। दक्षिण मुंबई स्थित प्रसिद्ध दरगाह के मुख्य स्थान पर महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए ट्रस्ट शीर्ष अदालत गया था। उच्च न्यायालय ने 26 अगस्त को कहा था कि हाजी अली दरगाह के मुख्य स्थान में महिलाओं के प्रवेश पर ट्रस्ट की ओर से लगाया गया प्रतिबंध संविधान की धारा 14, 15 और 25 का उल्लंघन है और महिलाओं को भी पुरूषों की तरह दरगाह के मुख्य स्थान पर प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नामक एनजीओ की दो महिलाओं, जाकिया सोमन और नूरजहां नियाज की उस जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया था, जिसमें वर्ष 2012 से दरगाह के मुख्य स्थान पर महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी। उसने दरगाह ट्रस्ट के अनुरोध के बाद आदेश पर छह सप्ताह की रोक लगा दी थी ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपील कर सके।