Advertisement
19 August 2016

मैदान के बिना मेडल की बेताबी

गूगल

उनका अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता तक पहुंचना और संसाधनों-सुविधाओं की कमी के बावजूद दुनिया के सुविधा संपन्न देशों के खिलाड़ियों से डटकर मुकाबला करना भी उन्हें सम्मान लायक बनाता है। खेल भावना का पहला पाठ ही जीत-हार पर निर्भर नहीं रहने का होता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में फिसड्डी दिखने पर मातम करने वालों को अपने घर-आंगन, गिरेबान और किसी भी खेल के लिए अनिवार्य मैदान को झांकना चाहिये। महंगी खेल सामग्री का मुद्दा सरकारी खजाने से जुड़ा हो सकता है, लेकिन बैडमिंटन, कुश्ती, जिम्नास्ट, हाकी, फुटबाल जैसे खेलों के अभ्यास के लिए कितने स्कूलों-कॉलेजों में मैदान की सुविधाएं उपलब्‍ध हैं? महानगर में स्‍थानाभाव का रोना रोया जा सकता है, लेकिन अन्य शहरों, कस्बों और गांवों तक में शैक्षणिक परिसर के साथ सुविधाजनक खेल का मैदान, खेल शिक्षक और बहुत कम खर्च वाली खेल सामग्री उपलब्‍ध नहीं हो पाती। प्राथमिक ही नहीं सरकारी सेकेंडरी स्कूल तक के पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। शहरों में स्कूल कॉलेज बिल्डिंग के बजट और ठेकों में अधिकारी पूरी रुचि लेते हैं। लेकिन मैदान की सुध नहीं लेते। प्रतिष्ठित निजी शैक्षणिक संस्‍थाओं में अवश्य खेलकूद की सुविधाएं होती हैं, लेकिन सैकड़ों ऐसे निजी पब्लिक स्कूल-कॉलेज देश में हैं, जहां किशोर-युवा छात्रों के लिए खेल के मैदान एवं खेलकूद सामग्री और चुनिन्दा खेलों के प्रशिक्षक ही नहीं हैं। इन संस्‍थानों के प्रबंधक ओलंपिक या एशियाई खेलों के दौरान तालियों अथवा आलोचना की ढपली बजाने के बजाय मैदान और खेलकूद की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता का संकल्प क्यों नहीं लेते? हाल के वर्षों में कुछ कॉरपोरेट कंपनियों ने सरकार के ‘सामाजिक उत्तरदायित्व’ व्यवस्‍था के कानून के तहत कुछ चुनिन्दा खेल गतिविधियों के लिए बजट एवं गतिविधियां शुरू की हैं। लेकिन कुछ कंपनियां इसके साथ ही बिजनेस हित और दूरगामी मुनाफे को भी ध्यान में रख रही हैं। नगर-निगम, नगर-पालिका, पंचायत, जिला विकास प्राधिकरण भी तो शैक्षणिक संस्‍थानों पर नियम-कानून के साथ नैतिक दबाव बना सकते हैं। कितने धनपति जमीन खरीदकर शैक्षणिक संस्‍थानों के बच्चों के लिए खेल मैदान की सुविधा दे रहे हैं? तमन्ना मेडल की करते हैं, तो पहले अच्छे खेल मैदानों की व्यवस्‍था एवं खिलाड़ियों को न्यूनतम सुविधा एवं प्रोत्साहन की भी सोचें। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: ओलंपिक, मेडल, स्वर्ण, रजत, कांस्य, खेल के मैदान, सुविधाएं, प्रतियोगिता, खेल सामग्री, अधिकारी
OUTLOOK 19 August, 2016
Advertisement