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28 May 2021

गंगा किनारे दफन मिले सैकड़ों शव: बचाव में आएं महंत नरेंद्र गिरी, कहा- ये परंपरा, हिंदुओं के अंतिम संस्कार पर सवाल निंदनीय

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने गंगा घाट के किनारे भू-समाधि किए गए शवों पर प्रश्नचिह्न लगाने और सरकार की आलोचना करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदुओं के अंतिम संस्कार पर सवाल खड़ा करना निंदनीय है।

महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि हिंदुओं में पार्थिव शरीर को जलाने के साथ भू-समाधि देने और जल में प्रवाहित करने की परंपरा है और यह सृष्टि निर्माण काल से चली आ रही है। गंगा के घाट के पास पार्थिव शरीर हमेशा दफनाएं जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी और सूबे में योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्ववादी सरकार सत्तारूढ़ है। इससे सनातन धर्म विरोधी ताकतें बौखला गई हैं।

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि सनातन धर्म विरोधी ताकतें सरकार को बदनाम करने के लिए तरह-तरह का कुचक्र रचते रहते हैं। उसी के तहत अब पार्थिव शरीर को निशाना बनाने का घिनौना काम किया जा रहा है जिसे अखाड़ा परिषद स्वीकार नहीं करेगा। संत समाज इसके खिलाफ लोगों में जागरुकता फैलाएगा।

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गिरि ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि कुछ लोग गंगा किनारे दफनाए गए शवों को कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के कारण अधिक मृत्यु हुई है, जिससे दाह संस्कार करने के साथ-साथ उन्हें गंगा घाट के किनारे दफनाया भी गया है जबकि कोरोना से पहले भी पार्थिव शरीर दफनाएं जाते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि शव जलाने के लिए लकड़ी की कमी है। उन्होंने बताया कि पतित पावनी गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए घाट से दूर शवों को दफनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पहले मीड़िया नहीं था जिस कारण इतना हो हल्ला नहीं मचता था, आज मीडिया के कारण कोई भी समाचार लोगों तक तत्काल पहुंच जाता है।

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TAGS: Hindu, Covid-19, Coronavirus, Funeral Of Hindus, Narendra Giri, Uttarakhand
OUTLOOK 28 May, 2021
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