नेता नहीं एक छात्र हूं मैं, राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं: कन्हैया
देशद्रोह के आरोप में 21 दिनों तक जेल में रहने के बाद गुरूवार को छूटे कन्हैया कुमार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर लगाई जा रही अटकलों पर कहा है कि उनका मुख्र्यधारा की राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है। कन्हैया ने कहा, मैं कोई नेता नहीं हूं। मैं छात्र हूं। मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने या कोई चुनाव लड़ने का मेरा कोई इरादा नहीं है। उन्होंनेे कहा, मैं एक छात्र के तौर पर सवाल करना चाहता हूं और भविष्य में एक शिक्षक के तौर पर जवाब देना चाहूंगा। लिहाजा, मेरी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से जुड़े सवालों को किनारे रखना चाहिए।
जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष और पीएचडी के छात्र कन्हैया ने कहा कि संसद पर हमले का दोषी अफजल गुरू भारत का नागरिक था और उसे मिली मौत की सजा पर बहस वैध है। साथ ही उन्होंने कहा कि उनका आदर्श अफजल गुरू नहीं बल्कि रोहित वेमुला है। गौरतलब है कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) के दलित छात्र रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली थी।
कन्हैया ने कहा, देश के लोगों ने मुझे वोट नहीं दिया है, यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मुझे वोट दिया है। मैं देश का राष्ट्रपति नहीं, जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष हूं। मैं सिर्फ उनके लिए और उनकी बात करूंगा। उन्होंने कहा, मेरे लिए अफजल गुरू देश का एक नागरिक था जिसे कानून के तहत सजा दी गई। सजा गलत थी या सही थी, कोई भी इस पर बहस कर सकता है क्योंकि कानून इसकी इजाजत देता है। गुरू मेरा आदर्श नहीं है। मेरा आदर्श रोहित वेमुला है।
29 साल के कन्हैया ने कहा, मेरा काम पढ़ना है और उनके लिए लड़ना है जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन पढ़ने में सक्षम नहीं हैं। लड़ाई लंबी होने की वजह से इस पर कोई जीत का मार्च नहीं बल्कि एकता मार्च हो सकता है।जेएनयू को संचालित करने में करदाताओं के पैसे बर्बाद होनेे की टिप्पणियों पर कन्हैया ने कहा, मैं देश के लोगों को बताना चाहता हूं कि उनका पैसा बिल्कुल सही जगह पर निवेश किया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, मैं राष्ट्रवाद का पेटेंट कराने और एबीवीपी तथा समाज के एक तबके की ओर से प्रचारित अखंड भारत की अवधारणा के खिलाफ हूं।