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24 December 2017

2017 में हथियार उठाने वाले कश्मीरी नौजवानों की तादाद आठ साल में सबसे ज्यादा

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साल 2017 में आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले कश्मीरी नौजवानों की संख्या में बहुत उछाल आया है। नौजवानों के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के आंकड़े जुटाने का काम 2010 में शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब ऐसे युवाओं की संख्या 100 को पार कर गई है। आज अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों में बताया गया है कि 2016 में यह आंकड़ा 88 था जबकि 2017 में नवंबर महीने तक ही यह आंकड़ा 117 हो गया था। दक्षिण कश्मीर हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को सदस्य मुहैया कराने वाले एक प्रमुख केंद्र के तौर पर उभरा है ।

रिपोर्टों के मुताबिक, इस साल विभिन्न आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या में 12 अनंतनाग, 45 पुलवामा और अवंतीपुरा, 24 शोपियां और 10 कुलगाम के हैं।

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उत्तर कश्मीर से जुड़े आंकड़ों में कुपवाड़ा से चार, बारामुला और सोपोर से छह जबकि बांदीपुर से सात नौजवान आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए। मध्य कश्मीर में आने वाले श्रीनगर जिले से पांच जबकि बडगाम से चार नौजवान आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए।

यह रिपोर्टें घाटी में चलाए गए विभिन्न आतंकवाद निरोधक अभियानों के दौरान गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों से पूछताछ में जानकारी और तकनीकी एवं इंसानी खुफिया तंत्र से इकट्ठा की गई सूचनाओं पर आधारित है।

रिपोर्टों के मुताबिक, इस साल आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले नौजवानों की संख्या 117 है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पुलिस  महानिदेशक एस पी वैद्य की दलील है कि यह संख्या काफी कम है।

बहरहाल, एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि पुलिस के आंकड़ों में सिर्फ ऐसे मामलों को जगह मिलती है जो पुलिस स्टेशनों में दर्ज किए जाते हैं, जबकि वास्तविक आंकड़े हमेशा ज्यादा होते हैं, क्योंकि कई माता-पिता डर के कारण मामले की जानकारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नहीं देते।

इस साल मार्च में संसद के पटल पर रखे गए आंकड़ों के मुताबिक, 2011, 2012 और 2013 की तुलना में 2014 के बाद घाटी में हथियार उठाने वाले नौजवानों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।

आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले कश्मीरी नौजवानों की संख्या वर्ष 2010 में 54, 2011 में 23, 2012 में 21 और 2013 में 16 थी । साल 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 53 हो गया जबकि 2015 में 66 और 2016 में बढ़कर 88 हो गया।

(पीटीआई से इनपुट)

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TAGS: kashmir, jammu and kashmir, parliament report, eight years
OUTLOOK 24 December, 2017
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