समझौते के अनुरूप विवाद सुलझाने को भारत-चीन में सहमति- विदेश मंत्रालय
भारत और चीन के बीच लद्दाख में वर्तमान गतिरोध दूर करने के लिए शनिवार को हुई सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देशों के बीच संबंधों के समग्र विकास के लिए सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द का माहौल बेहद आवश्यक है।
शांति से विवाद सुलझाने को दोनों देश तैयार
बीते शनिवार को लद्दाख क्षेत्र में चुशूल में भारत और चीन के सैन्य कंमांडरों के बीच विस्तृत बातचीत हुई थी। लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध खत्म करने के लिए दोनों पक्षों के बीच कई दौरों की बातचीत हो चुकी है। शनिवार की वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकालने पर सहमति बनी है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट चुशूल में हुई वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया था। चीन की ओर समान पद पर तैनात मेजर जनरल लियू लिन ने वार्ता में हिस्सा लिया। लियू लिन दक्षिणी जिनजियांग मिलिट्री रीजन में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर हैं।
भारत ने समझौतों के पालन पर जोर दिया
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि लेह के कोर कमांडर की चीन के कमांडर से बातचीत सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई। सूत्रों का कहना है कि भारत की ओर से चीन को कहा गया है कि वह दोनों देशों के बीच समझौतों के अनुरूप सभी मतभेद और गतिरोध बातचीत के जरिये सुलझाने को तैयार है। विदेश मंत्रालय के अनुसार चीन ने भी इसके लिए सहमति जताई है।
करीब साढ़े पांच घंटे तक चली बैठक के बाद शनिवार को भारतीय सेना के प्रवक्ता ने कहा, “दोनों देश सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए आगे भी बातचीत जारी रखेंगे। अभी इसके बारे में कयासों के आधार पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा, इसलिए मीडिया को भी ऐसी रिपोर्टिंग से बचने की सलाह दी जाती है।”
पिछले दिनों भारत और चीन के सैनिक पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे और उनमें लोहे की छड़,लाठी-डंडे चले और पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकूला दर्रे के पास भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे।
कई राउंड की हो चुकी है बातचीत
पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को लेकर अभी तक दोनों सेनाओं के बीच 10 राउंड तक की बातचीत हो चुकी है। 2 जून को भी दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच इस मसले पर बातचीत हुई थी लेकिन अभी तक किसी भी बातचीत का कोई खास नतीजा सामने नहीं आया है। हालांकि, इस बीच उस क्षेत्र में दोनों सेनाएं कुछ दूर तक पीछे जरूर हटी हैं। अभी भी टकराव की नौबत खत्म नहीं हुई है। चीन ने तिब्बत में सैन्य अभ्यास कर अपनी सेना के पांच हजार जवानों को उत्तरी लद्दाख सेक्टर में तैनात कर दिया है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी तैनाती बढ़ाई है।
ये है विवाद
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। बता दें कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।