मेट्रो किराए में वृद्धि रोकने के लिए कोर्ट क्यों नहीं गई केजरीवाल सरकारः कांग्रेस
कांग्रेस का कहना है कि क्या मेट्रो किराए की बढ़ोत्तरी को लेकर चौथी फेयर फिक्शेसन कमेटी रिपोर्ट इतनी पवित्र व बाध्य है जिसके लिए इसको कोर्ट में चैलेंज नही किया जा सकता। अगर किराए पर रोक के लिए केजरीवाल सरकार कोर्ट नहीं जाएगी तो कांग्रेस दस्तक देगी।
मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेस में प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि केंद्र और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास यह रिपोर्ट पिछले 15 महीनों से पड़ी हुई है क्योंकि 8 सितम्बर 2016 को यह रिपोर्ट तैयार हो गई थी और 26 नवम्बर 2017 को इसको पब्लिक डोमेन में जारी किया फिर भी इसको दिल्ली सरकार ने कोर्ट में चैलेंज क्यों नही किया। रिपोर्ट के पैरा 3.5 में एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन को लेकर साफ तौर पर कहा गया है कि वर्तमान किराया जो इस लाईन पर वसूला जा रहा है वह तीसरी फेयर फिक्शेसन कमेटी की सिफारिशों से कम है। इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने के लिए सरकार बाध्य नही है।
माकन ने कहा कि मुम्बई मेट्रो वन प्राईवेट लिमिटेड (एमएमओपीएल) को लेकर बनी पहली फेयर फिक्शेसन कमेटी ने मुम्बई मेट्रो के अधिकतम किराए को 40 से बढ़ाकर 45 रुपये करने की सिफारिश की थी (उस समय मुम्बई मेट्रो की किराए की दरें 10, 20, 30 व 40 रुपये थी जो कि सिफारिश के बाद 10, 20, 25, 35 व 45 होनी थी) दूसरी ओर एमएमओपीएल अधिकतम किराए को 45 रुपये से बढ़ाकर 110 रुपये करना चाहते थे, लेकिन एमएमआरडीए (महाराष्ट्र मेट्रोपोलिटन रेल डेवलपमेन्ट अथारिटी) ने प्रस्तावित किराए की बढ़ोतरी को लेकर मुम्बई उच्च न्यायायलय में याचिका लगाई तथा उच्च न्यायालय ने बढ़े हुए किराए पर रोक लगा दी। उऩ्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो के बढ़े हुए किराए से निजात पाने के लिए 755.92 करोड़ की सब्सिडी प्रतिवर्ष दी जानी चाहिए ताकि दिल्ली मेट्रो यात्रियों को राहत की सांस मिल सके।