नागरिकता कानून के खिलाफ जामिया के शिक्षकों का शांति मार्च, कहा- हमें और विभाजन नहीं चाहिए
जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने बुधवार को विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन को खारिज करते हुए शांति मार्च निकाला। अध्यापकों का कहना था, “हमें एक और विभाजन नहीं चाहिए।” शांति मार्च निकालने वाले जेटीए ने उन सभी विश्वविद्यालयों को धन्यवाद दिया जिन्होंने जामिया छात्रों के विरोध मार्च और इस कानून के खिलाफ समर्थन दिया। जेटीए ने कहा, पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के लिए फेक्ट फाइडिंग कमेटी बननी चाहिए। पुलिस कार्रवाई में 50 से ज्यादा छात्र घायल हो गए थे।
नुकसान का मुआवजा मिले
शिक्षक संघ ने छात्रों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और रविवार को की गई पुलिस कार्रवाई के दौरान संपत्ति के नुकसान के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग की। संघ ने निर्दोष छात्रों पर बल प्रयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मार्च के दौरान, 500 से अधिक शिक्षक और विद्वान “आई स्टैंड विद जामिया” “मैं सीएए के खिलाफ हूं” और सभी सहायक विश्वविद्यालयों के प्रति आभार व्यक्त करने वाले संदेशों की तख्तियां लिए हुए थे। मार्च में चल रहे अध्यापक भारत का एक नक्शा लिए हुए थे जिसमें कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले कैंपसों को दर्शाया गया था।
विश्वविद्यालय लगातार निशाने पर
जेटीए के सचिव मजीद जमीन ने कहा, सीएए के खिलाफ 13 दिसंबर को हमारा विरोध शांतिपूर्ण था। छात्र संसद तक शांतिपूर्ण तरीके से मार्च करना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने अनुमति नहीं दी। उन पर आंसू गैस के गोले फेंके गए। जेटीए का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों में ऐसी घटनाएं बार-बार होती रही हैं।