झारखंड: भूख से बच्ची की मौत के मामले में केंद्र सरकार जांच के लिए भेजेगी टीम, मांगी रिपोर्ट
झारखंड के सिमगेड़ा जिले में जहां भूख से मौत का मामला सामने आया वहीं हर चीजों में आधार कार्ड की अनिवार्यता का एक क्रूरतम रूप भी देखने को मिला। सिमडेगा जिले के जलडेगा प्रखंड की पतिअंबा पंचायत के गांव कारीमाटी में रहने वाली 11 साल की एक बच्ची संतोषी कुमारी की भूख से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने 8 दिन से खाना नहीं खाया था जिसके चलते बीते 28 सितंबर को भूख से तड़पते हुए दम तोड़ दी। इस मामले में केंद्र सरकार जांच के लिए एक टीम भेजेगी। साथ ही केन्द्र ने झारखंड सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है।
Simdega alleged starvation death: Central govt to send a team to probe case, has also asked #Jharkhand govt to submit a report.
— ANI (@ANI) 18 October 2017
वहीं घटना के बाद राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने राज्य के मुख्य सचिव पर गंभीर सवाल उठाए हैं। एनडीटीवी के मुताबिक उन्होंने मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव राजबाला वर्मा की कार्यशैली को लेकर कहा है कि मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये वैसे लोगों का राशन कार्ड को रद्द करने का निर्देश दिया था, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा “मुख्य सचिव का निर्देश सुप्रीम कोर्ट की आदेश की अवमानना है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा था कि आधार कार्ड नहीं होने से सरकार किसी को राशन के लाभ से वंचित नहीं कर सकती।” सरयू राय ने यह भी कहा कि विभागीय मंत्री होने के बाद भी मेरे बात नहीं सुनी जाती है।
‘भात-भात कहते मर गई मेरी बेटी’
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मृतक बच्ची की मां कोयली देवी कहती हैं, “जब मैं चावल लेने गई तो मुझे कहा गया कि मुझे देने के लिए राशन नहीं है। मेरी बेटी ‘भात-भात’ कहते हुए मर गई।”
Jharkhand: Went to get rice but I was told that no ration will be given to me. My daughter died saying 'Bhat-bhat'-Koyli Devi, girl's mother pic.twitter.com/aRCIwcoSfL
— ANI (@ANI) 17 October 2017
बीबीसी के मुताबिक गांव के डीलर ने पिछले आठ महीने से संतोषी के परिवार को राशन देना बंद कर दिया था। क्योंकि, उनका राशन कार्ड आधार से लिंक्ड नहीं था। कोयली देवी ने बताया, "28 सितंबर की दोपहर संतोषी ने पेट दर्द होने की शिकायत की। गांव के वैद्य ने कहा कि इसको भूख लगी है। खाना खिला दो, ठीक हो जाएगी। मेरे घर में चावल का एक दाना नहीं था। इधर संतोषी भी भात-भात कहकर रोने लगी थी। उसका हाथ-पैर अकड़ने लगा। शाम हुई तो मैंने घर में रखी चायपत्ती और नमक मिलाकर चाय बनायी। संतोषी को पिलाने की कोशिश की। लेकिन, वह भूख से छटपटा रही थी। देखते ही देखते उसने दम तोड़ दिया। तब रात के दस बज रहे थे।"
दोषियों पर करेंगे कड़ी कार्रवाई: सीएम रघुबरदास
हालांकि सूबे के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने सिमगेडा कलेक्टर को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। उन्होंने कहा, “जो भी दोषी पाया जाएगा उसपर सख्त कार्रवाई करेंगे। मेरे झारखंड में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना दोबारा न हो, सभी अधिकारी ये सुनिश्चित करें।”
मेरे झारखण्ड में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना दोबारा न हो, सभी अधिकारी ये सुनिश्चित करें।
— Raghubar Das (@dasraghubar) 17 October 2017
मिड-डे मील से मिटती थी भूख
भूख से मरने वाली संतोषी की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्कूल के मिड-डे मील से उसके दोपहर के खाने का इंतजाम होता था। मगर दुर्गा पूजा की छुट्टियां होने की वजह से स्कूल बंद था और इस वजह से उसे कई दिन भूखा रहना पड़ा। जिसकी वजह से उसकी जान चली गई।
लीपा-पोती में लगे अधिकारी
सिमडेगा के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्रि का कहना है कि संतोषी की मौत का भूख से कोई लेना-देना नहीं है। उसकी मौत की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक संतोषी की मौत की वजह मलेरिया है। इस कमेटी ने उस डाक्टर से बातचीत की, जिसने संतोषी का इलाज किया था। हालांकि बच्ची की मां मौत की वजह सिर्फ भूख को बता रही हैं। वहीं मंत्री सरयू राय ने यह भी कहा कि इस घटना की स्वतंत्र जांच करने वाली फैक्ट-फाइंडिंग टीम का आरोप है कि परिवार को 6 महीने से राशन नहीं मिला, क्योंकि राशन दुकान वाला बताता रहा कि परिवार का राशन कार्ड आधार नंबर से जुड़ा नहीं है।
‘आधार’ ने किया ‘निराधार’ और ‘भूखमरी का इंडेक्स’
एक तरफ जहां यह घटना भूखमरी की दर्दनाक कहानी है, वहीं आधार कार्ड ना होने से राशन से वंचित रखा जाना एक बेहद गैर अमानवीय बर्ताव है। हालांकि अब संतोषी नहीं रहीं लेकिन ऐसी घटनाओं से हमारी व्यवस्था कितनी सबक लेती है यह देखने वाली बात है। बता दें कि यह दर्दनाक घटना ऐसे समय में हुई है जब ग्लोबल हंडर इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक भुखमरी के मामलों में भारत की स्थिति और चिंताजनक बताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अब भारत खिसक कर 97 नम्बर पर आ गया है। साथ ही भूखमरी के मामले में भारत को खतरनाक देशों की श्रेणी में रखा गया है।