जेएनयू: छात्रों को दंड देने पर प्रोफेसर एमिरेट्स ने वीसी को लिखा कड़ा पत्र
प्रोफेसरों ने पत्र में कहा कि जेएनयू में ऐसी घटनाओं को लेकर वे क्षुब्ध हैं। उन्होंने कुलपति से अपील की कि कार्यक्रम के सिलसिले में छात्रों पर कड़ा दंड लगाने के प्रशासन के निर्णय पर पुनर्विचार करें। घटना के दौरान कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाए गए थे। पत्र में कहा गया, वर्तमान प्रशासन ने नौ फरवरी को बैठक का आयोजन करने वालों पर जुर्माना और निष्कासन जैसे कड़े दंड लगाकर स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाया है। ऐसा उन्हें गिरफ्तार किए जाने और जेल भेजे जाने के बावजूद हुआ। पत्र में लिखा है, अब आदेश जारी किया गया है कि बाहरी लोग विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते। हम आग्रह करते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन इन दोनों निर्णयों पर पुनर्विचार करे जिनमें किसी की जरूरत नहीं है और जेएनयू के स्वीकार्य मानकों के मुताबिक काम करें।
थापर और नैयर के अलावा पत्र पर नामवर सिंह, अमित भादुड़ी, शीला भल्ला, अनिल भट्टी, जोया हसन, उत्सा पटनायक, एस डी मुनि और प्रभात पटनायक ने भी हस्ताक्षर किए हैं। जेएनयू में 25 प्रोफेसर एमिरेट्स हैं। पत्र में कहा गया है, विश्वविद्यालय ऐसी जगह रहा है जहां हमने छात्रों और शिक्षकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर स्वच्छंद रूप से चर्चा की है। इस तरह की परिचर्चा में चाहे सेमिनार हो या अनौपचारिक सभा, विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर के वक्ताओं को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस बीच घटना के सिलसिले में विश्वविद्यालय की तरफ से दिए गए दंड के खिलाफ छात्रों का भूख हड़ताल आज 13वें दिन भी जारी रहा।