कश्मीर: पेलट गन के इस्तेमाल पर केंद्र को हाईकोर्ट की फटकार
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन पॉल वसंतकुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अत्तर की पीठ ने कहा, आप भीड़ को नियंत्रित करने का कर्तव्य निभा रहे हैं लेकिन किसी सभ्य समाज में कैसे आप भीड़ को नियंत्रित करते हैं। वे आपके अपने लोग हैं, वे विदेशी नहीं हैं और न ही वे अंतरिक्ष से आए हैं और आप उनपर पेलट फेंक रहे हैं। पीठ ने बेहद सख्त लहजे में कहा, आप उन्हें अपने लोग नहीं मान रहे हैं। पीठ ने कहा कि सरकार दावा करती है कि सीआरपीएफ कर्मी पेलट गन के इस्तेमाल को लेकर प्रशिक्षित हैं लेकिन उसने यह नहीं स्पष्ट किया कि लोगों को कैसे घुटने के ऊपर और ज्यादातर मामलों में आंखों में चोट आ रही है। अदालत ने सहायक सॉलीसीटर जनरल से कहा, आप प्रशिक्षित हैं। आप उनके प्रशिक्षण के बारे में कई बातें कह रहे हैं लेकिन आप यह नहीं कह रहे हैं कि क्यों लोगों को घुटने के ऊपर चोट आ रही है और उनकी आंखों को क्षति पहुंच रही है। पीठ ने सरकार से गृह मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए बयान के आलोक में पेलट गन के इस्तेमाल के बारे में पुनर्विचार करने को कहा और उससे भीड़ पर नियंत्रण करने का वैकल्पिक तरीका ढूंढने को कहा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख नौ अगस्त को निर्धारित की है।
केंद्र ने अदालत के समक्ष अपने जवाब में कहा कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की बहाली के लिए तैनात सीआरपीएफकर्मी अनुभवी हैं और दंगा-रोधी उपकरण का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। इसपर पीठ ने कहा कि जहां सरकार कह रही है कि सीआरपीएफ पेलट गन का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं, वहीं जमीनी हालात बिल्कुल अलग हैं। लोगों को घुटने के ऊपर और आंखों में चोटें आईं हैं। अदालत ने कहा, देखिए, आप भीड़ को नियंत्रित कर रहे हैं, वैसा करने में आपको अपने ही मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करना है। अदालत ने कहा, यह सब कागज पर है कि आप प्रशिक्षित हैं, आप इस गन को चलाने के लिए फिट हैं, लेकिन जमीनी हालात अलग हैं क्योंकि राज्य सरकार ने पेलट गन के इस्तेमाल की वजह से लोगों को चोट के संबंध में रिपोर्ट सौंपी है। अदालत ने कहा कि राज्य पैलट गन का इस्तेमाल करके खुद अपने लिए समस्या खड़ी कर रहा है और उससे इसके इस्तेमाल पर सचेत फैसला करने को कहा।