राज्य सभा मे न भेजे जाने से कुमार विश्वास नाराज, कहा- दण्ड स्वरूप मिला पुरस्कार
दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों के लिए आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों का नाम तय कर लिया है। संजय सिंह के अलावा सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता का नाम तय किया गया है। केजरीवाल के घर पर हुई पार्लियामेंट अफेयर्स की मीटिंग में यह फैसला हुआ।
वहीं, कुमार विश्वास इस निर्णय से खफा नजर आ रहे हैं। पिछले कई दिनों से वह अपना दावा राज्य सभा के लिए पेश कर रहे थे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए अपनी नाराजगी जताई और कहा दण्ड स्वरूप मुझे पुरस्कार मिला।
कुमार विश्वास ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं जानता हूं आपकी केजरीवाल के बिना हमारे दल में कुछ होता नहीं। आपसे असहमत रहकर वहां जीवित रहना मुश्किल है।'
Main janta hu aapki (Kejriwal) icchha ke bina hamare dal mein kuch hota nahi, aapse asehmat reh ke wahan jeevit rehna mushkil hai. Main party, andolan ka hissa hu to ye anurodh karta hu ke shaheed to kardia par iss shav se chhed-chhaad na karen: Kumar Vishwas on AAP's RS nominees pic.twitter.com/UeSrir2Swr
— ANI (@ANI) January 3, 2018
एक पुरानी घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कभी केजरीवाल जी ने मुझसे कहा था, 'हम आपको मारेंगे लेकिन शहीद नहीं होने देंगे।' विश्वास ने कहा, 'मैं अपनी 'शहादत' स्वीकार करता हूं। मैं पार्टी और आंदोलन का हिस्सा हूं तो ये अनुरोध करता हूं कि शहीद तो कर दिया पर इस शव से छेड़छाड़ न करें।'
उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल से असहमत रहकर पार्टी में जिंदा नहीं रहा जा सकता। एक शेर से उन्होंने अपना दर्द जाहिर किया-
सबको लड़ने पड़े अपने-अपने युद्ध
चाहे राजाराम हों चाहे गौतम बुद्ध
बता दें कि तीनों सीटों के लिए 16 जनवरी को चुनाव होंगे जिसके लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख पांच जनवरी है। 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 66 विधायक हैं जिसके कारण तीनों सीटों पर आप के उम्मीदवारों का जीतना भी तय है। आप नेता कुमार विश्वास और आशुतोष का नाम भी चर्चा में था लेकिन कुमार विश्वास ने जिस तरह पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश की उसके चलते पार्टी ने उन्हें टिकट ना देने का मन बनाया। विश्वास के समर्थक आप दफ्तर के बाहर धरने तक पर बैठ गए थे। आशुतोष का टिकट भी इस नाते तय नहीं हो पाया ताकि विश्वास समर्थक दबाव ना बना सके। पार्टी से बाहर के नाम तय करना मकसद अंदरूनी गुटबाजी खत्म करना माना जा रहा है।