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05 January 2018

राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, अधर में लटका तीन तलाक बिल

 

लोकसभा में पास होने के बाद संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास नहीं हो पाया। सभापति ने शुक्रवार दोपहर को राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी है। अब सरकार बजट सत्र में इस बिल को पास करवाने की कोशिश करेगी।

 

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शुक्रवार को भी विपक्ष लगातार इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। और शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास नहीं हो पाया। अब बजट सत्र में ही तीन तलाक बिल पर किसी फैसले की उम्मीद है।

 

सरकार ने पूरी कोशिश की थी कि किसी भी तरह से इस बिल पर सहमति बना ली जाए, लेकिन विपक्ष इस बिल पर सार्थक चर्चा के बहाने इसे पास ना करने पर अड़ी रही। शीतकालीन सत्र के खत्म होने के साथ ही दोनों सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गए।

 

 

संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि पहला बजट सेशन 29 जनवरी से 5 फरवरी तक चलेगा। जबकि बजट एक फरवरी को पेश होगा। दूसरा सेशन 5 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा।

 

पिछले कई दिनों से सदन में तीन तलाक बिल पर कांग्रेस के विरोध के चलते सरकार इस पर चर्चा भी नहीं करा पा रही है। कांग्रेस इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग पर अड़ी हुई है। इस बीच आज कांग्रेस ने अपने सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने के निर्देश जारी किए हैं।  

 

बता दें कि लोकसभा में बहुमत होने के कारण केंद्र सरकार ने बड़े ही आराम से तीन तलाक बिल को पारित करा लिया था, लेकिन राज्यसभा में उसके लिए यह काम दूर की कौड़ी साबित हो रही है। विपक्ष का साफ कहना है कि इस बिल में कई खामियां हैं, जिनके सुधार के लिए इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना जरूरी है।

गुरुवार को सदन में चर्चा के दौरान सरकार ने कहा कि कांग्रेस इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजकर लटकाना चाहती है। सरकार का आरोप है कि इस बिल पर कांग्रेस दोहरा रवैया अपना रही है। वहीं, कांग्रेस का दावा है कि एआईएडीएमके, बीजेडी, टीएमसी और एनडीए की पार्टनर टीडीपी सहित 17 दल इस बिल को कमिटी के पास भेजने के पक्ष में हैं।

टीएमसी के सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि वह बिल के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इसके लागू होने से पहले इसकी संसदीय समीक्षा चाहते हैं। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि इस कानून का विरोध ना करते हुए भी वे सरकार के रबर स्टैंप की तरह काम नहीं कर सकते।

28 दिसंबर, 2017 को तीन तलाक बिल लोकसभा में पास हुआ था। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2017 तीन तलाक या मौखिक तलाक को आपराधिक घोषित करता है और इसमें तीन तलाक देने वाले के खिलाफ तीन साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। यह बिल मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण और बच्चे की निगरानी का अधिकार देता है।

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TAGS: last day of winter session, Congress issues, three-line whip, its members, Rajya Sabha
OUTLOOK 05 January, 2018
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