Advertisement
18 September 2015

वर्दी और बंदूक के लिए बनते हैं नक्सली: अध्ययन

गूगल

पांडेय ने बताया कि पिछले कुछ समय में उनके दल ने लगभग 25 आत्मसमर्पित माओवादियों से बातचीत की और यह जानने का प्रयास किया कि उन्होंने लगभग 12 वर्ष तक नक्सलियों का साथ क्यों दिया और किन कारणों से साथ छोड़ दिया। इस अध्ययन के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि आत्मसमर्पित माओवादियों को नक्सली विचारधारा के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही वह इस आंदोलन में शामिल होने के कारणों को बेहतर तरीके से बता पाए। पांडेय इस विषय के बेहतर जानकार हैं और वह 90 की दशक में वामपंथी उग्रवाद पर पीएच डी कर चुके हैं। वह डी लिट्ट भी हैं।

उन्होंने बताया कि उनके शोध दल ने पिछले वर्ष दिसंबर महीने में महाराष्ट के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले का दौरा किया था तथा वहां 13 नक्सलियों और उनके परिजनों से बातचीत की थी। इसके साथ ही इस वर्ष जुलाई में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 12 आत्मसमर्पित नक्सलियों से बातचीत की गई। अध्ययन दल की सदस्य वर्णिका शर्मा ने बताया कि 92 फीसदी युवा सेना की तरह हरी वर्दी, हथियार, माओवादियों की सांस्कृतिक मंडली चेतना नाट्य मंच के नृत्य और नारेबाजी से प्रभावित होते हैं। उन्हें माओवादियों की विचारधारा के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है।

शर्मा ने बताया कि कुछ युवक गरीबी, बेरोजगारी और आपसी दुश्मनी की वजह से भी नक्सली आंदोलन में शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि अध्ययन के दौरान यह भी जानकारी मिली कि लगभग 33 फीसदी नक्सलियों ने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया। वहीं 25 फीसदी नक्सलियों ने बीमारी की वजह से इस आंदोलन को छोड़ दिया। शर्मा ने बताया कि 17 फीसदी नक्सलियों ने अपने नेताओं से दूरियों और आपसी लड़ाई की वजह से आंदोलन को छोड़ा जबकि 13 फीसदी नक्सली वरिष्ठ नक्सलियों द्वारा शोषण के कारण इस आंदोलन से विदा हो गए। एक अन्य शोधार्थी तोरण सिंह ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2011-12 के दौरान कम युवा माओवादियों के दल में शामिल हुए और अब संगठन में युवाओं की कमी होती जा रही है। ठाकुर ने बताया कि नक्सलियों से बातचीत के दौरान इस बारे में जानकारी मिली कि यदि सरकार समर्पण नीति का प्रचार-प्रसार भीतरी क्षेत्रों के गावों में करेगी तब ज्यादा युवा नक्सली आंदोलन छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे।

Advertisement

विभागाध्यक्ष पांडेय ने बताया कि इस अध्ययन के दौरान छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बाद आंध्र प्रदेश, बिहार और झारखंड का भी दौरा किया जाएगा और वहां के नक्सलियों से बातचीत की जाएगी। बहुत ही जल्द इस अध्ययन की रिपोर्ट को पुलिस और गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। अध्ययन के प्रारंभिक नतीजों को राज्य पुलिस को सौंप दिया गया है तथा जल्द ही अन्य राज्यों को भी इस अध्ययन में शामिल किया जाएगा। इधर राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस अध्ययन से नक्सलियों के साथ बातचीत और उनकी मनोदशा को समझने में सहायता मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया कि माओवादियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस तरह के अध्ययन से उनसे बातचीत करने में आसानी होगी। क्योंकि इस समस्या का सामाधान केवल हथियार के माध्यम से संभव नहीं है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: नक्सली, माओवादी, सैनिक वर्दी, हथियार का प्रलोभन, नक्सल आंदोलन में शामिल, अध्ययन, रायपुर, गढ़चिरौली, Naxalites, Maoists, military uniforms, temptation for weapons, included in Naxalite movement, study, Raipur, Gadchiroli
OUTLOOK 18 September, 2015
Advertisement