दुर्गा विसर्जन पर HC के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगी ममता बनर्जी
दुर्गा विसर्जन मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद अब पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगी। शुक्रवार को ममता सराकर हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ममता ने कहा था, चाहे कोई मेरा गला काट दे, लेकिन कोई भी मुझे यह न बताए कि मुझे क्या करना है।
ममता ने कहा कि शांति बनाए रखने के लिए जो करना है वो मैं करूंगी। शायद इसीलिए ममता सरकार के सुप्रीम कोर्ट की ओर जाने के फैसले को उनके इस बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है।
बता दें कि गुरुवार को कोलकाता हाईकोर्ट ने मुहर्रम के बाद दुर्गा प्रतिमा विसर्जन मामले पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप राज्य (सरकार) हैं, सिर्फ इसलिए आप मनमाने आदेश जारी नहीं कर सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आपको सपना आ गया कि कुछ गलत हो सकता है तो आप बंदिशें नहीं लगा सकते।
वहीं, इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सभी दिन रात 12 बजे तक प्रतिमा विसर्जन किया जा सकेगा। इसमें मुहर्रम का 1 अक्टूबर का दिन भी शामिल है। इसके लिए कोर्ट ने पुलिस से रूट अरेंजमेंट करने को भी कहा।
कोलकाता हाईकोर्ट ने बुधवार को ममता सरकार के खिलाफ की थी सख्त टिप्पणी
इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को ममता सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार से कहा था कि जब आप इस बात का दावा कर रहे हैं कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव है तो फिर आप खुद दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक विभेद पैदा करने की कोशिश क्यों कर रही हैं?
कोर्ट ने बंगाल सरकार से पूछा, 'दो समुदाय एक साथ त्योहार क्यों नहीं मना सकते? दुर्गा पूजा और मुहर्रम को लेकर पहले कभी ऐसे हालात नहीं बने। उन्हें सद्भाव के साथ रहने दें। उनके बीच कोई लकीर न खींचें। उन्हें साथ-साथ रहने दें।'
क्या है मामला
बता दें कि इस साल दशहरा के अगले दिन ही मुहर्रम है। दशहरे के अगले दिन दुर्गा प्रतिमा भी विसर्जित की जाती है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विसर्जन की तारीख बढ़ाने का फैसला किया था, यानी बंगाल में दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन1 अक्टूबर की जगह 2 अक्टूबर को होगा।
इससे नाराज होकर 14 सितंबर को अधिवक्ता अमरजीत रायचौधरी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने यह तर्क दिया था कि दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है। इस पूजा में सभी विधियां शुभ समय के अनुसार होती है। मुख्यमंत्री के निर्देश से ऐसा लग रहा है जैसे यहां धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।