मिर्चपुर वालों को धर्मातंरण के लिए 28 का इंतजार
भगाणा के दलितों ने जंतर मंतर पर कलमा और नमाज पढ़ी। मोहम्मद आलिल रहमान ने इनका धर्म परिवर्तन करवाया। ये सभी लोग हिसार के भगाणा गांव के वासी हैं। दो साल से ये लोग अपने साथ ज्यादतियों के मामले में न्याय मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे। इन दलितों का नेतृत्व कर रहे वीरेंद्र भदौरिया का कहना है कि ‘दो सालों से हम न्याय के लिए तमाम सरकारी दफ्तरों, अधिकारियों और सरकारों के दरवाजों पर गुहार लगा चुके हैं। दलित और पिछड़ी जाति का होने के कारण अगर हमारे साथ कांग्रेस और भाजपा के राज में इतना अत्याचार हो रहा है तो नहीं रहना हमें सवर्ण जाति के लोगों की पांव की जूती बनकर। गांव की पंचायत ने हमारा बहिष्कार किया, हमारी जमीनों पर कब्जा कर लिया, हमारी महिलाओं के साथ बलात्कार किया लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी।‘ गौरतलब है कि 21 मई 2012 को भगाणा के 137 परिवारों ने गांव छोड़ दिया था। तब से ये लोग लगातार धरने पर हैं। गांव छोड़ने के बाद भी 23 मार्च 2014 को गांव की चार दलित लड़कियों को अगवा कर दुष्कर्म किया गया। इसके कुछ समय बाद 25 अगस्त 2014 को दलितों के घरों पर फायरिंग की गई। गांव की ही एक दलित लड़की से 8 मार्च 2015 को दुष्कर्म किया गया।
मिर्चपुर वाले भी बन सकते हैं मुसलमान
हरियाणा का भगाणा और उससे पहले मिर्चपुर कांड हाल ही के सालों में हरियाणा में दलितों के खिलाफ हुई दो बड़ी वारदातें हैं। अट्ठाइस अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मिर्चपुर वाले मामले की सुनवाई है। सूत्रों का कहना है कि इन दलितों को इस तारीख का इंतजार है। अगर इनके साथ न्याय नहीं होता है तो वे भी धर्म परिवर्तन की राह पर जा मुसलमान बन सकते हैं। वीरेंद्र भदौरिया ने स्वीकार किया कि वह मिर्चपुर वाले पीड़ित दलितों के संपर्क में हैं। वे भी धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं लेकिन 28 अगस्त का इंतजार कर रहे हैं।
क्या है मिर्चपुर का मामला
21 अप्रैल 2010 को हिसार के मिर्चपुर गांव में 18 वर्षीय अपाहिज लड़की और उसके 70 साल के बूढ़े पिता को जिंदा जला दिया गया था। लगभग 80 घरों को फूंक दिया गया। कुत्ते के भौंकने से शुरू हुआ विवाद हरियाणा में दलितों और दबंगों के बीच सबसे बड़ी घटना बन गया। चौदह जनवरी 2011 को मिर्चपुर के 150 दलित परिवार गांव छोड़कर हिसार के तंवर फॉर्म हाउस पर आ गए। इसमें दबंग समुदाय के 98 लोग आरोपी हैं और सभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस केस को हिसार से दिल्ली शिफ्ट किया गया।