नजीब का पता नहीं लगा पाई सीबीआइ, मां ने कहा- इंसाफ मिलने तक चैन से नहीं बैठूंगी
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद का पता लगाने में सीबीआइ विफल रही है। सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दे दी। इससे पहले न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने नजीब की मां फातिमा नफीस की याचिका पर फैसला चार सितंबर को सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा है कि यदि नजीब की मां को मामले पर स्थिति रिपोर्ट चाहिए तो उन्हें निचली अदालत जाना होगा।
गौरतलब है कि नजीब की मां ने हाई कोर्ट में अर्जी देकर अनुरोध किया था कि उनके बेटे का पता लगाने के लिए अदालत पुलिस को निर्देश दे। अदालत के फैसले के बाद फातिमा ने पत्रकारों को बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी। उन्होंने कहा,“हम दो साल से लड़ रहे हैं, लेकिन मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। मुझे अदालत से बहुत उम्मीदें थी। लेकिन, जांच एजेंसी ने उसे गुमराह किया। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।”
सीबीआइ पर सत्ता के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, “इस फैसले से मेरा दिल टूट गया है। सीबीआइ ने निष्पक्ष जांच नहीं की। इसका मसकद उनलोगों को बचाना है जिन्होंने मेरे बेटे को प्रताड़ित किया। मेरा अब भी न्यायपालिका पर भरोसा बना हुआ है और जब तक बेटे को इंसाफ नहीं मिलता चैन से नहीं बैठूंगी।”
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष एन. साईं बालाजी ने भी हाई कोर्ट के आदेश पर नाखुशी जताते हुए कहा है कि संघर्ष को मुकाम तक ले जाएंगे। उल्लेखनीय है कि संदिग्ध परिस्थितियों में नजीब 15 अक्टूबर 2016 को लापता हो गया था। कथित तौर पर उसके साथ 14 अक्टूबर को जेएनयू के होस्टल में एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने मारपीट की थी।