NCB ने एक साल में 5 मामलों में एक ही गवाह का किया इस्तेमाल, कार्रवाई पर उठे सवाल; अब वानखेड़े की बढ़ेंगी मुश्किलें?
मुंबई क्रूज ड्रग्स केस में आर्यन खान को जमानत मिल चुकी है, लेकिन अब जांच एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्योरो (एनसीबी) सवालों के घेरे में आ गई है। एनसीबी की कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस केस में सबसे पहले महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा नेता नवाब मलिक ने एनसीबी के अधिकारी, खास तौर से मुंबई जोन के डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने मामले में बनाए गए गवाह को लेकर एनसीबी को कठघरे में खड़ा किया था। कहा था कि बनाए गए दो पंच यानी गवाह बीजेपी से आते हैं। वहीं, अब अंग्रेजी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट ने एनसीबी की कार्रवाई और बनाए जा रहे गवाहों पर सवाल उठाए हैं।
दरअसल, कॉर्डेलिया जहाज छापेमारी के दौरान एनसीबी ने शाहरूख खान के बेटे आर्यन समेत अन्य कई लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें आर्यन के अलावा अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा भी शामिल थें। अभी वो जमानत पर बाहर आ गए हैं। एजेंसी ने गिरफ्तारी के दौरान कुल 10 पंच यानी गवाह बनाए थे, दिलचस्प है कि एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से 5 को पिछले एक साल में एनसीबी द्वारा कार्रवाई के दौरान गवाह बनाया गया है। इसमें एक नाम गवाह आदिल फजल उस्मानी का है। रिपोर्ट के मुताबिक एनसीबी अधिकारियों द्वारा 2020 से अब तक कम-से-कम 5 मामलों में उस्मानी को गवाह बनाया गया है।
रिपोर्ट में दो अन्य लोगों के खिलाफ भी सवाल उठाए गए हैं। एक केपी गोसावी जो अब महाराष्ट्र पुलिस के द्वारा गिरफ्तार हो चुके हैं। मनीष भानुशाली जिसका भाजपा से संबंध है। गवाह प्रभाकर सेल ने एनसीबी मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े पर उन्हें खाली पन्नों पर हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया है।
उस्मानी, गोसावी, भानुशाली और सेल चार के अलावा एनसीबी ने ऑब्रे गोमेज़, वी वेगनकर, अपर्णा राणे, प्रकाश बहादुर, शोएब फैज़ और मुज़म्मिल इब्राहिम को इस मामले में गवाह बनाया है। इसमें से कुछ लक्जरी लाइनर के सुरक्षा कर्मचारी हैं।
इस रिपोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार 2 अक्टूबर (केस नंबर 94/2021) के कॉर्डेलिया छापे से पहले, जोगेश्वरी निवासी उस्मानी को एनसीबी की ओर से 2020 के बाद पांच और केस में पंच गवाह बनाया गया है। इन मामलों में 36/2020 (एलएसडी की वाणिज्यिक मात्रा की जब्ती), 38/2020 (मेफेड्रोन या एमडी की गैर-व्यावसायिक मात्रा और एलएसडी की वाणिज्यिक मात्रा की जब्ती), 27/2021 (एमडी की वाणिज्यिक मात्रा की जब्ती), 35/2021 (एलएसडी और गांजा की व्यावसायिक मात्रा की जब्ती) और 38/2021 (एलएसडी और गांजा की जब्ती) शामिल हैं। 2020 के इन सभी मामलों में उस्मानी का पंचनामा में एक ही पता है।
इस मामले में एनसीबी के गवाहों पर सबसे पहले महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाए थे। उन्होंने वानखेड़े के खिलाफ कई आरोप लगाए थे। इसके साथ ही गोसावी के आपराधिक रिकॉर्ड और भानुशाली का भाजपा से लिंक होने की बात भी कही थी।
मलिक ने एनसीबी के एक अधिकारी द्वारा कथित तौर पर वानखेड़े के खिलाफ आरोपों के साथ एक गुमनाम पत्र भी साझा किया था, जिसका संबंध एक "ड्रग पेडलर" आदिल उस्मानी से था।