न्याय के नए कीर्तिमान
सर्वोच्च अदालत ने एक बड़ा झटका दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा देकर दिया है। यह सजा व्यक्तिगत अपराध के लिए नहीं वरन दिल्ली के लाखों लोगों को डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से परेशान होने के बावजूद पद पर रहते हुए लापरवाही बरतने के के लिए दी गई। सरकार अदालत के सामने लगातार ढिलाई दिखाती रही और कल भी उसके वकील ने फिर अगली तारीख मांगी। अदालत तो इतना जानना चाहती थी कि दिल्ली में खराब हालत के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं। अदालत ने मच्छरजनित बीमारियों को रोकने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी थी। इस छोटी सी बात का जवाब न देकर केजरीवाल सरकार रोज नए बहाने अदालत के बाहर भी पेश करती रही है। कभी फाइलें दिल्ली के उपराज्यपाल के पास होने, कभी नगर-निगमों की गड़बड़ी के तर्क सरकार के मंत्री और अधिकारी देते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पहले भी प्रदूषण रोकने के लिए ऐतिहासिक फैसले किए हैं। अब जनता के दर्द को समझते हुए मंत्री को जिम्मेदार ठहराकर प्रतीकात्मक जुर्माना इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि अन्य राज्यों के मंत्री और अधिकारी भी अधिक सतर्क हो जाएंगे। जन सुविधाओं के लिए चुनी हुई सरकारें अफसरों पर निर्भर रहने लगी हैं। दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े सुधार के दावे करते हुए विज्ञापनों पर करोड़ो रुपये खर्च किए हैं। स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा की निष्क्रियता से गंदगी का अंबार और बीमारियों से बदहाली हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य ऐतिहासिक फैसले में बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में एक प्रभावशाली परिवार के सदस्यों विकास और विशाल यादव को 25-25 साल की सजा सुना दी। इस घृणित हत्याकांड को दबाने के लिए नेता सह बाहुबली परिवार ने हर संभव प्रयास किए थे। लेकिन पहले हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कड़ी सजा दे दी। न्यायमूर्तियों के ऐसे फैसले कानून और न्याय के प्रति आस्था को मजबूत करते रहेंगे।