निर्भया की तीसरी बरसीः औरतों पर बैखौफ हिंसा जारी
देश को झकझोरने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार की आज तीसरी बरसी थी। इस मौके पर कई जरूरी सवाल देश भर में गूंजे। पहला यह कि आखिर क्या वजह है कि तीन साल पहले देश भर में महिलाओं पर होने वाली हिंसा के खिलाफ इतना जबर्दस्त उबाल आने के बावजूद बलात्कार और यौन हिंसा की घटनाओं में कमी नहीं आई। निर्भया का मामला इतना सुर्खियों में आ गया था इसलिए नौ महीने में इस पर फैसला आ गया, लेकिन बाकी मामले वैसे ही घसीट-घसीट कर क्यों चल रहे हैं।
अकेले राष्ट्रीय राजधानी में 3,500 मामले महिला और नाबालिकों पर यौन हंसा के फास्ट ट्रैक कोर्ट में लंबित पड़े हैं। इन मामलों में सुनवाई में इतना अधिक समय लग रहा है कि पीड़ित पक्ष परेशान हो गया है।
वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक बलात्कार के दर्ज मामलों में भी 2012 के बाद से तेजी आई है। इन आंकड़ों के मुताबिक 2012 में जहां बलात्कार के 24, 923 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2013 में वह बढ़कर 33,707 हो गए और 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 36,735 हो गया। इन आंकड़ों का दो तरह से विश्लेषण किया जा सकता है। पहला यह कि निर्भया के बाद औरतों पर होने वाली यौन हिंसा रोकने वाले नए कानून का भय समाज में नहीं दिख रहा है। बलात्कारी पहले की तुलना में ज्यादा आक्रामक हो गए हैं। पुरुषों की यौन विकृत्ति आक्रामक और कुत्सित रूप ले रही है। दूसरा यह कि पहले की तुलना में ज्यादा मामले दर्ज होने लगे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले एक महीने की ही घटनाओं पर अगर निगाह दौड़ाई जाए तो यह साफ होता है कि हिंसा बढ़ रही है। बच्चियों और औरतों पर हिंसा करने वाले बेलगाम है। एपवा की सचिव कविता कृष्णन का कहना है, पिछले तीन सालों में यानी दिसंबर 2012 से हर क्षेत्र में औरतों पर हिंसा बढ़ी है। हम आज भी इस बात की उम्मीद में खड़े हैं कि हर मामले को न्याय मिले।
इसी के साथ एक बात और बहुत चर्चा में है कि नाबालिग अपराधी का भविष्य क्या होना चाहिए। इसे लेकर भी निर्भया मामले ने एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ी थी, जो आज भी जिंदा है। निर्भया मामले में एक आरोपी नाबालिग था, जो अब छूटने के कगार पर है। सिर्फ निर्भया ही नहीं बाकी मामलों में भी यह दिखाई दे रहा है कि नाबालिग उम्र के लड़के अपराध कर रहे हैं, बच्चियों और लड़कियों को शिकार बना रहे हैं। जामिया में पढ़ा रही अनुराधा का कहना है कि अपराधियों को पकड़ने में सख्ती के साथ-साथ किस तरह से इन नाबालिग यौन अपराधियों को ट्रीट किया जाए, इस पर एक गहन विवेचन की जरूरत है। बच्चे अपराध की दुनिया में जा रहे हैं। समाज यौन अपराधों और अपराधियों को पैदा करने वाला हो रहा है।