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30 April 2016

नीतीश का बस चले तो पूरे देश में लागू करा दें शराबबंदी

नीतीश की इस मंशा को राजनीतिक विश्लेषक सन 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर उनकी महत्वाकांक्षा के तौर पर देखते हैं। लेकिन राजनीतिक दल उनकी इस महत्वाकांक्षा पर अपनी अलग राय रखते हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने हालांकि नीतीश के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को सिरे से खारिज नहीं किया लेकिन बहुजन समाज पार्टी नेता मायावती ने इतने बड़े गठबंधन की कवायद को अभी जल्दबाजी करार दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल का कहना है कि भाजपा विरोधी मोर्चे के लिए मुलायम सिंह यादव ही सर्वश्रेष्ठ चेहरा हैं।

एक समाजवादी के तौर पर अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले नीतीश कुछ समय तक भाजपा से गठजोड़ के सहारे सत्ता में रहे लेकिन जल्द ही लालू और कांग्रेस का दामन थामकर एक धर्मनिरपेक्ष-समाजवादी नेता के रूप में अपनी छवि बना ली। अब वह नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए गांधीवादी विचारधारा का सहारा ले रहे हैं।

आने वाले दिनों में नीतीश शराबबंदी पर चर्चा के लिए अन्य राज्यों को शामिल करने का प्रयास करेंगे और इस प्रयास को उन्होंने ‘खामोश सामाजिक क्रांति’ नाम दिया है। निश्चित रूप से वह समस्त भारत की महिलाओं के हित में कदम उठाना चाह रहे हैं लेकिन गैर-भाजपाई खेमे में उनके सहयोगी उनके इस कदम को मोदी के खिलाफ मोर्चेबंदी के तौर पर देख रहे हैं। बिहार में एक महीने से भी कम समय में शराबबंदी का व्यापक सामाजिक असर देखने को मिल रहा है और इसके लिए नीतीश की तारीफ भी हो रही है।

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TAGS: नीतीश कुमार, शराबबंदी, प्रधानमंत्री, गैर-भाजपा दल, Liquer ban, Jharkhand, Uttar Pradesh, 2019 election
OUTLOOK 30 April, 2016
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