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29 June 2017

नॉट इन माइ नेम: ‘यह प्रदर्शन सिर्फ जुनैद के लिए नहीं है’

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मुंबई में ‘नॉट इन माइ नेम’ के नाम से हो रहे प्रदर्शन के दौरान शबाना आजमी ने कहा, “हम भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के खिलाफ कानून की मांग कर रहे हैं। मैं इस देश की गौरवमयी नागरिक हूं। यह प्रदर्शन जो पूरे देश में हो रहा है वह विशेष रूप से ‘कुछ दिन पहले मथुरा दिल्ली ट्रेन में पीट-पीटकर हत्या के शिकार  जुनैद के समर्थन में नहीं है। यह केवल अकेले जुनैद के लिए नहीं। भीड द्वारा पीटने के सभी तरीकों के लिए है।”

‘नॉट इन माई नेम’ के नाम से 28 जून बुधवार को शाम यह विरोध प्रदर्शन दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, तिरुवंतपुरम, बंगलुरू, इलाहाबाद, पुणे सहित अन्य शहरों में आयोजित हुआ। फिल्म मेकर सबा दीवान ने सोशल मीडिया में एकजूट होकर विरोध जताने का आह्वान किया था। जिसके बाद यह संदेश वायरल हो गया। फिर हजारों लोगों ने इस आंदोलन को समर्थन देना शुरू कर दिया। बरखा दत्त और प्रशांत भूषण ने भी लोगों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा था।

दिल्ली के जंतर-मंतर में भी हजारों की तादात में लोग जुटे। इस दौरान सबा दीवान ने कहा, “मुझे इतनी उत्साहजनक प्रतिक्रिया का अनुमान नहीं था। कमजोर करने वाली हिंसा के बावजूद ये विरोध हमें अपने जिंदा रहने का अहसास कराएंगे साथ ही एक उम्मीद भी पैदा करेंगे।” उन्होंने कहा कि विरोध का आयोजन संविधान को फिर से स्थापित करने और हमलों का पुरजोर विरोध करने के लिए किया गया है।

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प्रदर्शन के पीछे वजह?

बता दें कि दिल्ली से 20 किलोमीटर दूर बल्लभगढ़ के पास भीड़ ने चार मुस्लिम युवकों की चलती ट्रेन में पिटाई कर दी थी। इस वारदात में जुनैद की मौत हो गई। जुनैद से पहले भीड़ द्वारा अखलाक, पहलू खान जैसे लोगों को निशाना बनाया गया। वहीं मंगलवार को झारखंड के गिरीडीह जिले मे मुस्लिम शख्स के घर के बाहर कथित रूप से मृत गाय मिलने के बाद पिटाई का मामला सामने आया। ऐसी घटनाओं की वृद्धि के विरोध में यह आयोजन रखा गया। कार्यक्रम के बारे में बताया गया कि मुसलमानों पर हो रहे ये हमले एक ऐसे प्रवृत्ति का हिस्सा हैं जिसमें देशभर में दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित और अल्पसंख्यक समूहों पर हो रही हिंसा भी शामिल हैं। साथ ही लोगों का कहना है कि इन सभी घृणित अपराधों के दौरान सरकार ने लगातार बस एक निंदनीय चुप्पी बनाए रखी है। सरकार की इस चुप्पी को आम भारतीयों की स्वीकृति के रूप में नहीं पढ़ा जाना चाहिए।

सरकार की चुप्पी

मॉब लिचिंग के खिलाफ कानून बनाने को लेकर समय-समय पर मांग उठती रही है। लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल इस दिशा में सामने नहीं आई है। नाट इन माइ नेम के तहत सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने जल्द ही इस पर कानून बनाने की मांग की।

अगर अब नहीं तो फिर कब?

सबा दीवान ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि हत्यायों और उसके पीछे की सांप्रदायिक विचारधारा का वे सरासर विरोध करते हैं। वे आगे लिखती हैं, “अगर अब नहीं तो फिर कब? आखिर जीवन और समानता का अधिकार भारत के संविधान में निहित एक मौलिक अधिकार है। अब समय आ गया है की हम भारत के नागरिक अपने संविधान की रक्षा करें।”

 

 

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TAGS: Not In My Name, Shabana Azmi, Jantar Mantar, Junaid, Muslim, protest, Mobs leaching
OUTLOOK 29 June, 2017
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