दिवाली से पहले दे दनादन महंगाई की मार
हालांकि इसके कारण तत्काल दोनों इंधन के दाम नहीं बढ़ेंगे क्योंकि कंपनियां फिलहाल इसका भार खुद वहन करेंगी। वैसे सरकार का कहना है कि बजट घाटे को कम करने के लिए उसने यह फैसला लिया है। गौरतलब है कि पहले सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों को यह कहते हुए सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया था कि उपभोक्ताओं को अंतरराष्ट्रीय मूल्य के अनुसार देश में ईंधन का मूल्य चुकाना चाहिए और कीमतों पर सरकार कोई सब्सिडी नहीं देगी। लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव गिरे तो सरकार ने उसका फायदा उपभोक्ताओं को देने की बजाय खुद उठाना शुरू कर दिया और पिछले दिसंबर से लेकर अबतक गैर ब्रांडेड पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 7 रुपये छह पैसे और डीजल पर यह ड्यूटी चार रुपये छियासठ पैसे बढ़ा दी है। यानी कि पूरी तरह उपभोक्ताओं को होने वाला यह लाभ सरकार हड़प कर गई। इन दोनों उत्पादों पर सरकार पहले भी एक्साइज ड्यूटी वसूल करती थी और इस बढ़ी राशि के बाद पेट्रोल पर सरकार को प्रति लीटर 19 रुपये छह पैसे कमाई करेगी। पेट्रोल और डीजल पर इस कर की मार से महंगाई का बढ़ना तय है।
सरकार ने महंगाई की दूसरी चोट रेल यात्रियों पर की है। किसी भी वजह से अगर अब आप अपनी कन्फर्म टिकट को रद्द करवाते हैं तो आपको दोगुना शुल्क चुकाना होगा। उदाहरण के लिए स्लीपर क्लास का टिकट रद्द कराने पर अब 60 की बजाय 120 रुपये जबकि थर्ड एसी का टिकट रद्द करवाने पर 90 रुपये की बजाय 180 रुपये कट जाएंगे। एक और झटका यह लगेगा कि टिकट हर हाल में ट्रेन की रवानगी के तय वक्त से चार घंटे पहले तक ही रद्द करवाना होगा। उसके बाद एक पैसे का भी रिफंड नहीं मिलेगा।
केंद्र सरकार ने आम आदमी को महंगाई का तीसरा झटका दिया है स्वच्छ भारत के नाम पर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जोर-शोर से आरंभ की गई इस योजना का खर्च सरकार अब आम लोगों से वसूल करेगी फिर भले ही आपके इलाके में सफाई हो या न हो। इसके लिए सरकार ने सर्विस टैक्स पर आधा फीसदी स्वच्छता सेस लगाने का फैसला किया है। सरकार के ये तीनों ही फैसले आपकी जेब पर भारी पड़ने वाले हैं और कमाल की बात है कि इससे आपको बेहतर सुविधा मिलने की कोई गारंटी भी नहीं है। रेलगाड़ियों के समय पर चलने की काई गारंटी सरकार आपको नहीं देगी, आपके इलाके में सफाई रहेगी इसकी कोई गारंटी सरकार नहीं देगी और पेट्रोल डीजल का मसला तो खैर बाजार के सामान्य व्यापार नियमों का उल्लंघन ही है जो कहता है कि बाजार में दाम घटने पर फायदा उपभोक्ता को होगा और बढ़ने पर उसका नुकसान भी उपभोक्ता को होगा। यहां नुकसान तो उपभोक्ता को होगा मगर फायदा सिर्फ सरकार को होगा।
वैसे महंगाई के चौथे झटके के लिए भी तैयार रहें, अरुण जेटली ने रसोई गैस पर सरकारी अनुदान खत्म करने के संकेत भी दे दिए हैं। बाकी दाम, प्याज, सरसों तेल और सब्जियां तो रुला ही रही हैं, उनकी चर्चा भी बेकार है।