अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश जम्मू-कश्मीर के नेता, महबूबा मुफ्ती ने कहा- 'यह देश के धैर्य की हार है'
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 5 अगस्त, 2019 के फैसले को संवैधानिक रूप से सही ठहराया और इसे बरकरार रखते हुए चुनाव आयोग से अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के निर्देश दिए। केंद्र के विरोधी दल और जम्मू कश्मीर के स्थानीय नेता इस निर्णय से खुश नज़र नहीं आए।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, "हिम्मत नहीं हारे, उम्मीद न छोड़े, जम्मू-कश्मीर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला यह एक मुश्किल पड़ाव है, यह मंजिल नहीं है। हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद छोड़कर इस शिकस्त को स्वीकार करें। यह हमारी हार नहीं यह देश के धैर्य की हार है।"
#WATCH जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने पर PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, "हिम्मत नहीं हारे, उम्मीद न छोड़े, जम्मू-कश्मीर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला यह एक मुश्किल पड़ाव है, यह मंजिल नहीं है... हमारे… pic.twitter.com/fdW4VOtKoD
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वह निराश हैं, मगर निरुत्साहित नहीं हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि संघर्ष जारी रहेगा।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दशकों लग गए और उन्होंने कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा, "भाजपा को यहां तक पहुंचने में दशकों लग गए। हम लंबी लड़ाई के लिए भी तैयार हैं।"
On SC upholding abrogation of Art 370 in J&K valid, National Conference leader Omar Abdullah says, "Disappointed but not disheartened. The struggle will continue..." pic.twitter.com/3YM3NRpCtk
— ANI (@ANI) December 11, 2023
उमर अब्दुल्ला ने अपने एक लाइव सेशन के दौरान कहा, ''हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था क्योंकि हमें न्याय की उम्मीद थी...हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं...हमारी कोशिशें यहीं ख़त्म नहीं होंगी। हम फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। हम कानूनी परामर्श के बाद इस पर फैसला करेंगे।"
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं है... कश्मीर हमेशा से भारत का एक अटूट हिस्सा रहा है... अब आने वाले दिनों में भाजपा को कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और मुंबई के केंद्र शाषित प्रदेश बनाने से कोई नहीं रोक सकेगा। इसका नुकसान सबसे ज़्यादा डोगरा और लद्दाख के बुद्धिस्ट को होगा।"
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने, "केंद्र को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना चाहिए और पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल करना चाहिए।" डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी आजाद ने संवाददाताओं से कहा, ''यह (अदालत का फैसला) दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन हमें इसे (फैसले को) स्वीकार करना होगा। " जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र के लोग शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिये गये फैसले से खुश नहीं हैं।
#WATCH | Democratic Progressive Azad Party (DPAP) President Ghulam Nabi Azad says, "We are disappointed by the Supreme Court verdict..."
Supreme Court upholds abrogation of Article 370 in Jammu & Kashmir constitutionally valid pic.twitter.com/BymzEbnLLP
— ANI (@ANI) December 11, 2023
शिव सेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। धारा 370 खत्म करने के समय हमने इसका समर्थन किया था। उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो दूसरा आदेश है कि अगले सितंबर तक वहां चुनाव होने चाहिए, वह जल्द से जल्द हो जाएगा। वहां की जनता है उनको खुली हवा में मतदान करने का अवसर मिलेगा। चुनाव के पहले अगर पीओके भी आ जाता है तो पूरे कश्मीर में चुनाव हो जाएगा और देश का एक हिस्सा बरकरार रहेगा।"
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराजा हरि सिंह के बेटे करण सिंह ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में लोगों का एक वर्ग जो इस फैसले से खुश नहीं होगा, मेरी ईमानदार सलाह है कि उन्हें ऐसा करना चाहिए। अपरिहार्य को स्वीकार करें और उन्हें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि अब यह किया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई को बरकरार रखा है और इसलिए अब अनावश्यक रूप से दीवार पर सिर मारने का कोई मतलब नहीं है। अब मेरा सुझाव यह है कि उन्हें अगले साल चुनाव की लड़ाई में लगना चाहिए। यहीं पर लोगों को नकारात्मकता विकसित करने के बजाय प्रेरित किया जाना चाहिए।"
अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को वैध ठहराते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए।