Advertisement
18 August 2016

सत्ता की राजनीति का जहर

बिहार में नीतीश कुमार ने पिछले चुनाव में महिलाओं से वायदा कर दिया कि सत्ता में आने पर वह पूर्ण शराबंदी लागू कर देंगे। अपना वचन निभाने के लिए उन्होंने सत्ता में आते ही शराबबंदी लागू कर दी। इसमें कोई शक नहीं कि गरीब वर्ग में शराब के अधिक उपयोग से स्वास्‍थ्य पर दुष्प्रभाव के साथ परिवारों पर भी बहुत असर होता है। बिहार सरकार ने खजाने में घाटा स्वीकारते हुए शराबबंदी लागू कर दी। लेकिन कुछ अन्य वस्तुओं पर थोड़ा टैक्स बढ़ा दिया। फिर भी समस्या पर नियंत्रण के बजाय अब जहरीली शराब, अवैध बिक्री का खतरनाक धंधा शुरू हो गया। बुधवार को गोपालगंज क्षेत्र में जहरीली शराब के सेवन से 14 लोगों की मौत हो गई। यूं राज्य सरकार इसकी पड़ताल और दोषी लोगों पर कार्रवाई का दावा कर रही है। लेकिन यह सिलसिला आसानी से थमने वाला नहीं है। खतरे की घंटी बजने लगी है। ईरान और पाकिस्तान जैसे देश में कई कड़े कानून के बावजूद शराब की अवैध बिक्री होती है। लेकिन उन देशों में एक वर्ग विशेष ही महंगी शराब चोरी छिपे पी सकता है और कट्टर धार्मिक मान्यताओं के कारण समाज में कुछ नियंत्रण हो जाता है। भारत जैसे विशाल प्रजातांत्रिक देश के किसी भी राज्य में पूर्ण मद्य निषेध लागू करना आसान नहीं है। इसे राजनीतिक छवि से जोड़ना भी उचित नहीं है। ऐसे मुद्दे पर सर्वदलीय सहमति के साथ संतुलित नीति बनानी चाहिए। सरकार पहले चरण में शराब के ठेकों में कमी करे। उसकी उपलब्‍धता कम होने पर धीरे-धीरे खपत कम होगी। फिर समाजिक जागरुकता पैदा की जाए। आखिरकार तंबाकू-सिगरेट के दुष्प्रभाव को लोग समझने लगे हैं और उसका उपयोग कम भी हुआ है। कठोर निर्णय के साथ प्रतिबंध रहने पर जहरीली शराब से मौत और अवैध बिक्री से समाज में अपराध ही बढ़ेंगे। यह किसी प्रदेश का नहीं राष्ट्रीय महत्व पर विचार का विषय है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: पंजाब, मादक पदार्थों, राजनीति, हरियाणा, शराब, ठेकों, सरकारी, हरियाणा, शराबबंदी, जहरीली शराब
OUTLOOK 18 August, 2016
Advertisement