Advertisement
11 February 2022

रेलवे भर्ती: आंदोलन की मजबूरी

इसे आंदोलन की ताकत कहें या चुनाव की मजबूरी, बीते दो महीने में सरकार को दो बार पीछे हटना पड़ा है। दिसंबर में उसने कृषि कानून वापस लिए तो अब रेलवे भर्ती परीक्षा पर जांच समिति बनाने पर मजबूर हुई है। बिहार और चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की एनटीपीसी (नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी) परीक्षा में धांधली के आरोप लगाते हुए छात्र सड़कों पर उतर आए। बिहार में लाठीचार्ज हुआ तो छात्र भी हिंसा पर उतर आए। प्रयाग में आंदोलनकारी छात्रों को ‘सबक सिखाने’ के लिए पुलिस ने लॉज और कमरों के दरवाजे तोड़कर छात्रों को पीटा। आंदोलन की बढ़ती आग देखते हुए सरकार ने एक मामले में परीक्षा टालने और दूसरे में जांच समिति बनाने का फैसला किया है, जो 4 मार्च तक रिपोर्ट देगी।

दरअसल, रेलवे भर्ती बोर्ड के एनटीपीसी भर्ती परीक्षा के पहले चरण (सीबीटी-1) के नतीजों से उम्मीदवार आक्रोशित हैं। वे नतीजों में धांधली का आरोप लगा रहे हैं। युवा पहले सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहे थे। मगर जब कोई असर नहीं हुआ तो 24 जनवरी को वे सड़कों पर उतर आए। उसी दिन रेलवे ने ग्रुप डी परीक्षा दो चरणों में कराने का नोटिस जारी किया, जिसने आग में घी डालने का काम किया।

पहले बिहार में छात्र सड़कों पर उतर आए। पटना, गया, नवादा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, बक्सर और भोजपुर जिलों में छात्र प्रदर्शन करने लगे। कई जगह रेलवे ट्रैक जाम कर दिया और सुरक्षा बलों से भिड़ गए। कई जगह ट्रेनें जलाई गईं और रेलवे ट्रैक उखाड़ दिए गए। छात्रों को उकसाने के आरोप में पुलिस ने बिहार के खान सर समेत कई कोचिंग संस्थान के मालिकों और अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

Advertisement

25 जनवरी को उत्तर प्रदेश के प्रयाग स्टेशन के पास एनी बेसेंट रेलवे क्रॉसिंग पर बड़ी संख्या में छात्र एकत्रित हुए। पुलिस लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हुए। बाद में लॉज और कमरों में रह रहे छात्रों को दरवाजा तोड़कर बाहर निकालने और पीटने का वीडियो भी वायरल हुआ। हालांकि छह पुलिसकर्मी निलंबित किए गए, लेकिन इस घटना ने छात्र आंदोलन के प्रति सरकारों का रवैया उजागर कर दिया था। बिहार में 27 तारीख तक प्रदर्शन जारी रहा। छात्र संगठनों ने 28 जनवरी को बिहार बंद का आयोजन किया, जिसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, माकपा-माले समेत कई विपक्षी दलों ने भी समर्थन दिया। इनके कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतरे।

प्रयाग में प्रदर्शन

प्रयाग में छात्रों का प्रदर्शन

बढ़ते आंदोलन को देखते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने कहा, “कुछ लोग इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। उनसे भी निवेदन करूंगा कि छात्रों को भ्रमित न करें। यह छात्रों का मामला है, इसमें पूरी संवेदनशीलता बरती जानी चाहिए।” हंगामे के बाद सरकार ने एक कमेटी बनाई है, जो 4 मार्च तक रिपोर्ट देगी। इस बीच, बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी सामने आए और आश्वस्त किया कि ग्रुप-डी की दो की बजाय एक ही परीक्षा होगी। एनटीपीसी परीक्षा के 3.5 लाख अतिरिक्त परिणाम भी ‘एक छात्र-यूनिक रिजल्ट’ के आधार पर जल्द घोषित किए जाएंगे। लेकिन इससे छात्रों का गुस्सा शांत होता नहीं दिख रहा है।

नाराज छात्र और विपक्षी दल अब भी सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। राजद के राज्य कार्यकारिणी सदस्य जयंत जिज्ञासु कहते हैं, “आंदोलन के दबाव में रेल मंत्री ने एनटीपीसी मामले में जांच कमेटी बनाने और ग्रुप डी की परीक्षा रद्द करने का आश्वासन दिया है। यह मामले को टालने जैसा है। कमेटी को मार्च तक समय देने से साफ झलकता है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए यह किया गया है।” वे कहते हैं कि सरकार के दमनात्मक रुख से भी स्पष्ट है कि वह मसले को हल करने के प्रति गंभीर नहीं है।

दूसरी ओर भाजपा इसे विपक्ष का किया धरा बता रही है। पार्टी का कहना है कि रेल मंत्री ने उचित और सही समाधान निकाला है और सबको अपनी बात रखने का मौका दिया। फिर भी कुछ राजनीतिक दल युवाओं को बरगला रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला कहते हैं, “युवाओं के साथ हर हाल में न्याय होगा। जो भी त्रुटियां हुई हैं उनके जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी होगी। रेल मंत्री ने खुद संवेदनशीलता दिखाते हुए समिति गठित की और अभ्यर्थियों के हित में निर्णय लेने की बात कही है। विपक्ष के पास खुद आंदोलन करने की क्षमता नहीं है, इसलिए वे किसान आंदोलन से लेकर छात्र आंदोलन तक सबमें कूद पड़ते हैं और आंदोलन को अराजक बनाते हैं।”

उत्तर प्रदेश चुनाव की वजह से सरकार इसे टालने के मूड में तो नहीं है, इस सवाल पर शुक्ला कहते हैं कि विपक्ष के पास संदेह करने के अलावा कोई काम नहीं बचा है। वे जोर देकर कहते हैं कि सरकार युवाओं को सक्षम बनाने का कार्य कर रही है, इसलिए युवा निश्चिंत रहें।

मुजफ्फरपुर में रेल रोको

 

हालांकि रेलवे की नौकरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के मन में अब भी अनिश्चितताएं हैं। सरकार के फैसले की बाट जोह रहे अभ्यर्थी प्रदीप चौधरी का कहना है कि एक तो देश में रोजगार की कमी है, ऊपर से इस तरह अवांछित घटनाओं और लेटलतीफी की मार से युवा बेहद चिंतित हैं।

क्या है विवाद की वजह?

विवाद एनटीपीसी और ग्रुप डी परीक्षाओं को लेकर है। एनटीपीसी के जरिए 35,281 पदों पर भर्ती होनी थी। ग्रुप डी के जरिए 1,03,769 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी। इनके लिए 2019 में नोटिफिकेशन जारी किया गया। दोनों परीक्षाओं के लिए लगभग ढाई करोड़ आवेदन आए। मार्च 2020 में परीक्षा होनी थी, मगर कोविड 19 की वजह से टल गई। आखिरकार दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 के बीच एनटीपीसी के पहले दौर की परीक्षा हुई। परिणाम 14 जनवरी को आया जिसमें 7,05,446 छात्र पास हुए।

जितने पद थे, उसके 20 गुना छात्रों ने दूसरे राउंड के लिए क्वालिफाई किया। रेलवे ने भी यही वादा किया था। मगर छात्रों का आरोप है कि कई पदों के लिए एक ही छात्र का चयन हुआ है। मतलब 12वीं पास के लिए निकले पदों के लिए ग्रेजुएट भी चुन लिए गए। यानी ग्रेजुएट को अनुचित लाभ मिल रहा है। छात्रों की मांग है कि 12वीं पास और ग्रेजुएशन के लिए अलग-अलग परीक्षाएं होनी चाहिए।

ग्रुप डी परीक्षा के जरिए चपरासी, गैंगमैन, ट्रैकमैन जैसे पदों पर भर्ती होनी थी। इसके लिए एक ही दौर की परीक्षा होती है। यानी पास हुए तो सीधे नौकरी। लेकिन रेलवे भर्ती बोर्ड ने कहा कि पहले राउंड यानी सीबीटी-1 में पास होने वाले अभ्यर्थियों को सीबीटी-2 देना होगा। उसके बाद पीईटी और मेडिकल होगा। पहले सीबीटी-1 के बाद पीईटी होता था। सीबीटी-1 की परीक्षा 23 फरवरी को होनी थी, मगर विवाद के बाद इसे फिलहाल टाल दिया गया है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती निकलने के तीन साल बाद परीक्षा आयोजित की जा रही है। अब सीबीटी-2 भी होगा तो नियुक्ति में बहुत वक्त लग जाएगा। अभ्यर्थियों का आरोप है कि रेलवे भर्तियां लटका रहा है, वह नौकरी देना ही नहीं चाहता।

रेलवे का तर्क

रेलवे भर्ती बोर्ड का कहना है कि अधिक योग्यता वालों को कम योग्यता वाली नौकरी की परीक्षा में बैठने से नहीं रोक सकते। नोटिफिकेशन के मुताबिक उसने 20 गुना अधिक उम्मीदवार पास किए हैं। ग्रेजुएट छात्रों को अंडरग्रेजुएट में भी इसलिए क्वॉलिफाई किया गया है ताकि एक भी पद रिक्त न रहे। ग्रुप डी को लेकर रेलवे का तर्क है कि कम पदों पर ज्यादा आवेदन आने से दिक्कतें बढ़ गई हैं। इसलिए ग्रुप डी परीक्षा दो चरणों में कराने का फैसला किया गया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: रेलवे भर्ती, आरआरबी एनटीपीसी, ग्रुप डी, रेलवे आंदोलन, भारतीय रेलवे, अक्षय दुबे साथी, railway recruitment, rrb ntpc, group d, railway movement, indian railway, akshay dubey saathi
OUTLOOK 11 February, 2022
Advertisement