‘आम आदमी’ की असलियत
केजरीवाल और उनकी श्रीमतीजी आयकर विभाग में नौकरी कर चुके हैं। इसलिए यह नहीं कह सकते कि आयकर विभाग में रहते हुए वे तत्कालीन सरकार की कठपुतली की तरह आयकर के छापे मारकर लोगों को तंग करते थे। वे यह भी जानते हैं कि आयकर विभाग के छापों में एक व्यक्ति नहीं पूरी टीम होती है। आयकर विभाग ने करतार सिंह तंवर के घरों और दफ्तरों पर छपे की लंबी कार्रवाई एवं पर्याप्त छानबीन के बाद 130 करोड़ की अवैध संपत्ति का ब्योरा इकट्ठा किया है। ढाई एकड़ के आलीशान फार्म हाउस में रहने वाले आम आदमी पार्टी के विधायक इस ‘ग्रैंड हाउस’ पर हुए खर्च का हिसाब भी नहीं बता सके। इसी तरह कई कंपनियां अपने सहयोगियों के नाम पर और बेनामी करोड़ों रुपये आने का विवरण भी ठीक से नहीं दे पाए हैं। असल में केजरीवाल एंड कंपनी कथित विवादास्पद बाबाओं की तरह सादगी, ईमानदारी, त्याग के सार्वजनिक दावे करते रहे हैं। आम आदमी पार्टी में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे पर ही गहरे मतभेद के साथ विभाजन हो गया था। पुराने सलाहकार साथी योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण सहित कई नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अलग हो गए थे और अब उनकी नई पार्टी खड़ी हो रही है। सत्ता में आने के बाद केजरीवाल और उनके साथी स्वच्छंद रूप से राज-काज चलाना चाहते हैं। भाजपा नेताओं से ही नहीं दिल्ली के उप राज्यपाल या प्रशासन और पुलिस तंत्र से भी टकरा रहे हैं। चुनिंदा मंत्रियों और विधायकों पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। दूसरी तरफ उन्हें पंजाब विधानसभा चुनावी मैदान में एकाधिकारी सत्ता के लिए तैयारियां करनी पड़ रही हैं। वे हर प्रदेश में दिल्ली की तरह एकछत्र राज करना चाहते हैं। कल्पना कीजिए इस सीमावर्ती राज्य में उनकी सरकार बन गई और केंद्र सरकार, चंडीगढ़ प्रशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र से केजरीवाल कंपनी टकराते हुए नियम-कानून मानने को तैयार नहीं हुई, तो प्रदेश ही नहीं संपूर्ण देश के लिए कितनी खतरनाक स्थिति पैदा होगी? दिल्ली के कुछ विधायकों पर अकूत अवैध संपत्ति एवं अपराध के मामले सामने आए हैं। पंजाब में तो पहले से राजनीति में अवैध धंधों में शामिल लोगों का प्रभाव रहा है। केजरीवाल ने अभी केवल 20 टिकट बांटे हैं, जिस पर सवाल उठ गए हैं। राजनीतिक शुभचिंतक केजरीवाल पार्टी को अहंकार एवं टकराव के खेल से उबरने एवं सही मायने में आम नागरिकों के लिए कुछ काम करने की कामना ही कर सकते हैं।