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02 August 2019

डॉक्टरों की दूसरे दिन भी हड़ताल जारी, आपातकालीन-आईसीयू सेवाएं बंद, हजारों मरीज परेशान

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2019 के खिलाफ दिल्ली के एम्स के बाद अब कई अस्पतालों में पहुंची डॉक्टर्स की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी है। पहले डॉक्टरों ने एक दिन की हड़ताल का ऐलान किया था। लेकिन दूसरे दिन भी दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। इस बीच डॉक्टरों का एक प्रतिनिधि मंडल भी स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकार‌ियों के साथ मीटिंग कर रहे हैं, जिसके बाद कोई सुलह का रास्ता निकल सकता है।

देर रात तक चली मीटिंग में लिया गया निर्णय

दिल्ली के एम्स, सफदरजंग, आरएमएल के रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन हड़ताल पर हैं। हड़ताल में एक डॉक्टर ने बताया कि एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, फोरडा के यूआरडी और आरडीए की सामान्य स‌मि‌ति की बैठक देर रात तक आयोजित की गई और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रहेगी। इसमें ओपीडी, आपातकालीन विभागों, आईसीयू और ऑपरेशन थिएटरों में डॉक्टर काम नहीं करेंगे।

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एम्स के ही डॉ. पवन ने आउटलूक को बताया कि उनके प्रतिनिधि मंड़ल की फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मीटिंग जारी है। हालांकि हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी, हड़ताल जारी रहेगी। फिहलाह बातचीत के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। डॉ. पवन ने बताया कि अब ओपीडी और आपातकालीन विभाग भी हड़ताल के चलते बंद हैं।

मरीजों पर पड़ रही है मार

एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज समेत दिल्ली सरकार व नगर निगमों के 50 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों के करीब 20 हजार रेजिडेंट डॉक्टर बृहस्पतिवार को हड़ताल पर रहे थे। उन्होंने आपातकालीन विभाग में भी सेवाएं नहीं दीं। हड़ताल के चलते करीब सात हजार छोटे-बड़े ऑपरेशन टालने पड़े और 80 हजार से अधिक मरीजों को उपचार नहीं मिल सका। कई मरीज ऐसे भी थे जो सुबह से एंबुलेंस में एक से दूसरे और फिर तीसरे अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन हर जगह से उन्हें रैफर ही किया गया। 

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के बैनर तले डॉक्टर पैदल मार्च कर राजघाट पहुंचे और वहां से एम्स की ओर कूच किया। एम्स और सफदरजंग के डॉक्टरों ने एम्स रिंग रोड पर जाम लगाया। संसद का घेराव करने जा रहे डॉक्टरों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया। वहीं, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना और केरल समेत कई अन्य राज्यों में भी डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा सेवाएं प्रभावित रहीं।

क्या है नेशनल मेडिकल कमीशन बिल

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान साल 2018 में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में रखा था, जिसे अब राज्यसभा में पारित कर दिया गया है। भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ज़िम्मेदारी थी। अब अगर इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो नेशनल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और इसकी जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) ले लेगा।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एक 25 सदस्यीय संगठन होगा जिसमें एक अध्यक्ष, एक सचिव, आठ पदेन सदस्य और 10 अंशकालिक सदस्य शामिल होंगे। यह आयोग स्नातक और परास्नातक चिकित्सा शिक्षा को देखेगा। इसके अलावा यह आयोग चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था भी देखेगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाएगी। जबकि, सदस्यों को एक सर्च कमेटी द्वारा नियु्क्त किया जाएगा। जिसकी अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे। पहले यह प्रक्रिया एक चुनाव द्वारा पूरी की जाती थी।

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TAGS: Resident doctors, strike, emergency, ICU
OUTLOOK 02 August, 2019
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