मॉन्सटर एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर रोक
इन पेय पदार्थों का उत्पादन और विपणन अमेरिकी कंपनी मॉन्सटर बेवरीज कॉर्पोरेशन की भारतीय इकाई मॉन्सटर एनर्जी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करती है।
प्राधिकरण के वैज्ञानिक पैनल ने मॉन्सटर एनर्जी में जिनसेंग और कैफीन का असंगत मिश्रण पाया है जिसका उसने मानव शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव माना है। कंपनी ने पेय पदार्थ में जिनसेंग के मिश्रण को पहले फ्लेवरिंग एजेंट के रूप शामिल करने का औचित्य बताया था लेकिन बाद में पाया गया कि यह खाद्य सुरक्षा और मानक नियमों द्वारा अनुमोदित सूची में ही नहीं है। पैनल ने उत्पाद के नाम को भी भ्रामक बताया।
मॉन्सटर एनर्जी जीरो के एक कैन (475 मिली) में विटामिन बी2, बी3, बी6 और बी16 की मात्रा रोजाना की मानक खपत से अधिक पाई गई है। जिनसेंग और कैफीन के अलावा इस उत्पाद में टॉरिन एवं एल कार्नाटाइन भी पाया गया है। ये दोनों एमिनो एसिड हैं और खाद्य सुरक्षा तथा मानक (एफएसएस) अधिनियम, 2006 की धारा 22 का उल्लंघन करते हुए इन तत्वों को शामिल किया गया था। एल कार्नाटाइन और जिनसेंग के ऐसे एनर्जी ड्रिंक में इस्तेमाल के लिए एफएसएसएआई से विशेष अनुमति लेनी होती है। इसके उत्पाद पर ऐसे तत्वों के लिए अनुमति लेने संबंधी प्रमाणित दस्तावेज का भी जिक्र नहीं किया गया है।
एफएसएसएआई पिछले साल सितंबर में ही इस उत्पाद से एनओसी वापस लेने संबंधी पत्र जारी करने वाला था लेकिन कंपनी ने उसी महीने बंबई हाईकोर्ट से अंतरिम राहत पाते हुए उत्पाद को बाजार में उतारना जारी रखा। एफएसएसएआई ने राहत के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सर्वोच्च अदालत ने आखिरकार 8 मई 2015 को एनओसी वापस लेने का फैसला दिया। किसी भी एनर्जी पेय में मिलाए गए तत्वों पर पहली बार सवाल नहीं उठाए गए हैं। क्लाउड 9 और जिंगा एनर्जी जैसे एनर्जी पेय पर से भी इसी आधार पर अनापत्ति प्रमाण वापस लिए गए हैं। कैफीन की अत्यधिक मात्रा होने के कारण एनर्जी पेय पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं क्योंकि कैफीन एक ठोस साइको-स्टिमुलेंट है जिसे ऊर्जा के तत्काल स्रोत के रूप में बेचा जाता है।