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01 July 2015

सैनिटेरी वेस्ट की नई परिभाषा तय

गूगल

 

भारत में अक्सर लोग इस प्रकार के कचरे को खुले में फेंक देते हैं। यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानीकारक हैं। ड्राफ्ट रूल्स में बताया गया है कि इस तरह के सैनिटेरी वेस्ट को अखबार या किसी अन्य बायोडिग्रेडेबल मटीरियल में सावधानी से लपेटकर नॉन बायो-डीग्रेडेबल कचरे के लिए अलग से रखे गए डिब्बे में डाल देना चाहिए। हालांकि भारत में कचरे को अलग-अलग कर पैक करना और इक्ट्ठा करने का चलन नहीं है। जबकि विदेशों में ऐसा ही होता है। 


सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर बने नियमों के ड्राफ्ट में यह भी साफ किया गया है कि कचरे को गली, सड़क, खुली जगहों, नाले या पानी के स्रोतों पर नहीं फेंका जा सकता। यह भी कहा गया है कि जिन लोगों के यहां इस तरह का कूड़ा है, उन्हें स्थानीय निकायों द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए तय नियमों के आधार पर फीस या जुर्माना देना होगा। लोगों और एक्सपर्ट्स के सुझावों के आधार पर मंत्रालय अगस्त में फाइनल रूल्स लेकर आएगा। 

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ड्राफ्ट रूल्स सैनिटेरी वेस्ट या अन्य सॉलिड वेस्ट के निपटारे की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों पर डाल रहे हैं। इसमें कहा गया है कि स्थानीय निकायों को इसके लिए नियम बनाने होंगे और जागरूकता अभियान आदि के जरिए वे लोगों में जागरूकता भी ला सकते हैं। 

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TAGS: डायपर्स, सैनिटेरी नैपकीन, पर्यावरण मंत्रालय, environment ministry
OUTLOOK 01 July, 2015
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