सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ करेगी फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक से संबंधित मामला शुक्रवार को अपनी संविधान पीठ को भेज दिया।
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने संविधान पीठ के लिए कई सवाल तैयार किए हैं। जजों द्वारा तैयार किए गए सवाल ये हैं- क्या मंदिर महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा सकता है? मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना क्या संविधान के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन है? क्या इस प्रथा से महिलाओं के खिलाफ भेदभाव होता है?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला संविधान पीठ को भेजे जाने के मुद्दे पर 20 फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सबरीमाला मंदिर प्रबंधन ने कोर्ट को बताया था कि 10 से 50 वर्ष की आयु तक की महिलाओं के प्रवेश पर इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है, क्योंकि मासिक धर्म के समय वे ‘शुद्धता’ बनाए नहीं रख सकतीं। सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला मंदिर में ऐसी महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
गत वर्ष सात नवंबर को केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है। शुरुआत में माकपा की अगुवाई वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार ने वर्ष 2007 में मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करते हुए प्रगतिशील रुख अपनाया था, लेकिन बाद में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सरकार ने इसके विपरीत रुख अपनाया। यूडीएफ सरकार ने तब कहा था कि वह 10 से 50 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ है, क्योंकि यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है।