सुप्रीम कोर्ट ने जेपी एसोसिएट लिमिटेड के सभी निदेशकों को निजी संपत्ति बेचने से रोका
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जयप्रकाश (जेपी) एसोसिएट लिमिटेड के सभी 13 निदेशकों पर निजी संपत्ति बेचने पर रोक लगा दी।
पीटीआई के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि अगर कोई निदेशक अपनी संपत्ति बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ आपराधिक अभियोग के तहत मामला चलाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सभी निदेशकों को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश के बाद दिया गया। कोर्ट में जेपी के निदेशकों की मौजूदगा में कोर्ट ने कहा कि इस आदेश के बाद कोई भी निदेशक उसके अथवा उसके परिजनों के नाम पर मौजूद किसी भी संपत्ति को बेचने की कोशिश नहीं करेगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप को कोर्ट रजिस्ट्री के पास 2000 करोड़ रुपये जमा कराने का फैसला सुनाया था जिससे कि जेपी प्रोजेक्ट्स में घर खरीदने वालों के हितों को सुरक्षित किया जा सके। इस आदेश पर जेपी समूह ने कोर्ट से होमबायर्स के हित के लिए महज 400 करोड़ रुपये जमा कराने की अपील की थी और बाकी की रकम किश्तों में जमा कराने के लिए छूट मांगी थी।
आज की सुनवाई के दौरान जेपी समूह ने 275 करोड़ रुपये की रकम जमा कराई जिसके बाद कोर्ट ने उसे 14 दिसबंर और 31 दिसंबर तक क्रमश: 150 और 125 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया।
हाल ही में नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल एनसीएलटी ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका (इंसॉल्वेंसी पेटीशन) स्वीकार कर ली थी। एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता 2016 की धारा सात के तहत आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार की थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदने वालों के हितों के चलते नेशनल लॉ ट्राइब्यूनल की पहल पर रोक लगाते हुए जेपी समूह को खरीदारों के हितों को सुरक्षित करने का फैसला सुनाया था। गौरतलब है कि खरीदारों की अपील पर कोर्ट से यह फैसला मिला था। इसी फैसले के क्रम मंक कोर्ट ने कंपनी को 2000 करोड़ रुपये की रकम कोर्ट की रजिस्ट्री के पास जमा कराने का फरमान सुनाया था।