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17 June 2016

घाटी में वापसी पर कश्मीरी पंडितों से बात करेंगे अलगाववादी

गूगल

श्रीनगर की जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद अपने संदेश में हुर्रियत कान्फ्रेंस के उदारपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि पंडितों की वापसी के लिए कोई पूर्व निर्धारित शर्त नहीं है। उन्होंने पंडितों को कश्मीरी संस्कृति और मूल्यों का हिस्सा बताया और कहा कि घाटी में रहने के दौरान वे किसी भी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन कर सकते हैं। उन्होंने कहा, हमने प्रतिरोधी (अलगाववादी) खेमों, हुर्रियत कान्फ्रेंस के दोनों धड़ों और मोहम्मद यासीन मलिक के जेकेएलएफ के सदस्यों की एक संयुक्त समिति गठित करने का फैसला किया है। जो राज्य में या अन्यत्र कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों से बात करेगी जिससे कि उनकी कश्मीर वापसी का मार्ग प्रशस्त हो सके।

 

मीरवाइज ने कहा कि संयुक्त समिति घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी को लेकर उनके संदेह को समझने के लिए उनसे बात करेगी। उन्होंने कहा, यह केवल कह देना नहीं है, बल्कि कश्मीरी पंडितों को घाटी वापस लाने के लिए एक गंभीर प्रयास है क्योंकि वे हमारी संस्कृति और मूल्यों का हिस्सा हैं। हुर्रियत अध्यक्ष ने कहा कि अलगाववादी खेमा पंडितों को अलग-थलग बस्तियों में बसाए जाने की जगह उनके मूल स्थानों पर उनकी वापसी चाहता है। उन्होंने कहा, वे किसी भी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन करने के लिए स्वतंत्र हैं, वे भारत का समर्थन कर सकते हैं। उनकी घाटी में वापसी उन्हें कश्मीरी के रूप में उनके अधिकारों से वंचित नहीं करेगा।

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TAGS: जम्मू कश्मीर, अलगाववादी, कश्मीरी पंडित, घाटी, वापसी, आतंकवाद, मीरवाइज उमर फारूक, जामिया मस्जिद, जुमे की नमाज, हुर्रियत कान्फ्रेंस, उदारपंथी धड़ा, राजनीतिक विचारधारा, मोहम्मद यासीन मलिक, संयुक्त समिति, Jammu Kashmir, Separatist, Kashmiri Pandit, Political Ideology, Moh
OUTLOOK 17 June, 2016
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