शशि थरूर का पीएम मोदी को पत्र, कहा- ‘असहमति के बगैर लोकतंत्र नहीं’
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 49 हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर चिंता जाहिर की है। थरूर ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि वे राष्ट्र की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दें, भले ही इसमें उनकी या उनकी सरकार की असहमति शामिल हो। बता दें कि कला, साहित्य और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी 49 हस्तियों ने 23 जुलाई को मोदी के नाम खुला पत्र लिखा था। इसमें मुस्लिम, दलित और अन्य समुदायों के खिलाफ भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा (मॉब लिंचिंग) पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
कांग्रेस सांसद ने पत्र में प्रधानमंत्री से संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा करने के लिए कहा है, जिसमें अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत अंतर्निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार शामिल है।
पत्र में लिखा कि बिहार के मुजफ्फरपुर में 49 भारतीय नागरिकों के एक समूह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से हम बेहद परेशान हैं, जिन्होंने 23 जुलाई, 2019 को आपको पत्र लिखकर देश में भीड़ की हिंसा बढ़ने पर प्रकाश डाला था। थरूर ने अपने पत्र में कहा है कि मॉब लिंचिंग चाहे सांप्रदायिक घृणा से की गई हो या बच्चे के अपहरण की अफवाहों से। यह एक ऐसी बीमारी बन गई है जो तेजी से फैल रही है। इन (49) लोगों ने इसे आपके संज्ञान में लाने का सही काम किया है।
‘मन की बात’‘मौन की बात’ में न बदल जाए
थरूर ने कहा, ‘‘एक भारतीय नागरिक के रूप में हम आशा करते हैं कि हम में से हर कोई बिना भय के राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को प्रकाश में ला सके, ताकि आप उन्हें संबोधित करें। हमें आप पर भरोसा है कि आप भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करेंगे। ताकि भारत के नागरिकों की ‘मन की बात' ‘मौन की बात' में न बदल जाए।’’
‘मतभेद के बगैर कोई लोकतंत्र नहीं’
थरूर ने आगे लिखा कि मतभेद के बिना कोई लोकतंत्र हो ही नहीं सकता। हमारा महान देश विविधताओं के सह-अस्तित्व के आधार पर बनाया गया है। अक्सर विचारों और विचारधाराओं में मतभेद होता रहता है। यहीं भारत को एक सफल और जीवंत लोकतंत्र बनाता है। आपसे विपरीत विचारधारा वाले लोगों को शत्रु या राष्ट्र-विरोधी नहीं माना जाना चाहिए।
‘कैसा नया भारत?’
थरूर ने अमेरिकी कांग्रेस में मोदी के संबोधन की याद दिलाते हुए कहा कि आपने 2016 में अपने भाषण में संविधान को एक पवित्र पुस्तक बताया था। आपने कहा था कि भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों के रूप में विश्वास, भाषण और मताधिकार की स्वतंत्रता देता है। ‘ शासन की विफलता उजागर करने वाले पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा’ कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या नया भारत में हर बार नागरिक या सरकार की नीतियों की आलोचना करने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी? क्या नए भारत को आप ऐसा बनाना चाहते हैं जहां देश के लोगों की न सुनी जाए, उनकी परेशानियों को दूर न किया जाए? क्या नया भारत ऐसा है, जिसमें आपसे मतभेद रखने वाले सभी विरोधी पार्टियों को देश का दुश्मन माना जाएगा। नया भारत क्या ऐसा होगा, जहां पत्रकारों को शासन की नाकामी उजागर करने के लिए गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि देश में बढ़ रहे मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 49 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस ने यह जानकारी दी थी। स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो माह पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह प्राथमिकी दर्ज हुई थी।