शिवराज ने उठाए केंद्र की फसल बीमा योजना पर सवाल
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ शब्दों में कहा कि केंद्र की फसल बीमा योजना में बहुत खामियां हैं और इसे किसान का पक्षधर बनाए जाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने सोमवार को भोपाल में फसल बीमा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि किसान को न्यूनतम आय सुनिश्चित करने की गारंटी होनी चाहिए।
शिवराज सिंह चौहान ने सीधे-सीधे केंद्र सरकार की योजना के बरक्स मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों को रखा और यह बताने की कोशिश की है कि उनकी सरकार किसानों की समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ रही है। केंद्र की योजना की आलोचना करते हुए शिवराज ने कहा कि अभी जो योजना है, वह किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाली है। तमाम नियम इस तरह से बनाए गए है जिससे किसान को आपदा में मदद कम से कम मिल पा रही है।
उन्होंने कहा कि जरूरत ऐसी बीमा योजना को बनाना है, जो किसानों की मदद करे। मंत्र होना चाहिए खेती को फायदे का धंधा बनाना। बीमा के लिए किसानों से लिया जाने वाला प्रीमियम भी कम होना चाहिए, वरना किसान इससे जुड़ेंगे ही नहीं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से मध्य प्रदेश में फसल नुकसान को नापने के लिए दायरे को किसान पर केंद्रित किया गया है, वैसा ही राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए, तभी ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिल पाएगा। अभी नुकसान का आकलन तहसील स्तर पर होता है, अगर तहसील के अंदर एक गांव या आधे गांव में फसल खराब होती है तो बीमे का लाभ नहीं मिलता। मुख्यमंत्री का कहना है कि यह सरासर गलत है।
शिवराज सिंह चौहान ने इस बात पर भी जोर दिया है कि सभी फसलों को बीमा के अंतर्गत लाया जाना चाहिए। सिर्फ फसल बर्बाद होने पर ही नहीं बल्कि सूखा पड़ने पर, फसल में फली न लगने पर या किसी भी तरह से किसान की उत्पादकता प्रभावित होने पर बीमा का लाभ मिलना चाहिए।
इस दो दिवसीय सेमिनार में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री गोरी शंकर बीसन ने कहा कि केंद्र की फसल बीमा योजना में आमूल-चूल परिर्वतन करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि अंतरर्राष्ट्रीबाजार गिरने से मध्य प्रदेश में बासमची उत्पादकों को नुकसान हुआ। ये तमाम बातें जेहन में रखनी जरूरी है। इस समेलन्न में देश-विदेश से विशेषज्ञ शिरकत कर रहे हैं। अर्जेटिंना, शिकागों, सिंगापुर औ जर्मनी से कृषि विशेषतज्ञ भाग ले रहे हैं।