सिगरेट-शराब का सेवन और केश कटवाने वाले सिख नहीं कर सकेंगे मतदान
एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार सिख गुरुद्वारा (संशोधन) अधिनियम, 2016 ने चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के गुरुद्वारों के प्रशासन का विनियमन करने वाले 91 साल पुराने कानून के प्रावधानों को बदल दिया है। नये कानून को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी। सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के तहत मतदाता के तौर पर पंजीकृत 21 साल से अधिक उम्र का हर सिख अपने पंथ के सर्वोच्च निकाय सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के चुनाव में मतदान करने की पात्रता रखता है। एसजीपीसी का गठन समुदाय के धार्मिक स्थलों का प्रशासन और प्रबंधन करने के लिए किया जाता है। नया कानून साफ करता है कि दाढ़ी या केश कटवाने वाले, धूम्रपान करने वाले और शराब पीने वाले किसी भी व्यक्ति को मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं किया जाएगा। गत 15 मार्च को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2016 पेश किया था और इसके अगले दिन विधेयक पारित हो गया। लोकसभा में इसे 25 अप्रैल को पारित किया गया। यह घटनाक्रम इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि सहजधारी सिखों को मतदान से रोकने की सिख समुदाय की पुरानी मांग को पूरा करने वाला यह कानून पंजाब में अगले साल निर्धारित विधानसभा चुनाव से पहले आया है। अधिसूचना में कहा गया कि यह कानून पिछले बीत चुके समय से लागू होगा।