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25 December 2019

सीएए पर बोले इतिहासकार इरफान हबीब, अंग्रेजों ने भी नहीं किया था ऐसा दमन

नागरिकता कानून 2019 के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन जारी है। दिल्ली से लेकर मुंबई और लखनऊ से लेकर बेंगलुरु तक प्रदर्शनकारी इस कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर गए हैं। कई राजनेता, फिल्मी हस्तियां और बड़े नाम इस विरोध के समर्थन में जुड़ चुके हैं, इसी कड़ी में अब प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब का भी नाम जुड गया है। हबीब ने  मोदी सरकार की तुलना ब्रिटिश राज से की है।

इतिहासकार इरफान हबीब ने बुधवार को कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हाल ही में सार्वजनिक भावनाओं के प्रकोप को केवल एक "मुस्लिम आक्रोश" के रूप में देखना गलत होगा क्योंकि यह अंततः सभी को प्रभावित करेगा और खासकर आधुनिक राज्य के रूप में भारत के विचार को सबसे ज्यादा। देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रजों के काल में भी हमने इस तरह से असहमति की आवाज का दमन होते नहीं देखा था।

ब्रिटिश पुलिस भी ऐसा अमानवीय रवैया नहीं दिखाती थी

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पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि लोगों के विरोध को कुचलने के ऐसे प्रयासों पर चिंता हो रही है क्योंकि विरोध का अधिकार एक लोकतांत्रिक समाज का मूल्य है। उन्होंने कहा कि अंग्रजों के समय में भी ब्रिटिश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के प्रति ऐसा अमानवीय रवैया नहीं दिखाया था जैसा कि देश के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों के दौरान देखा गया है।

भारत और लोकतंत्र के भविष्य के बारे में है यह प्रदर्शन

हबीब ने जोर देते हुए कहा कि पूरे देश में बड़ी संख्या में हिंदू और अन्य समुदाय इस विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह सत्तारूढ़ सोच के लिए उपयुक्त होगा यदि यह विरोध केवल हिंदू-मुस्लिम मुद्दे के चश्मे से देखा जाता है। प्रख्यात इतिहासकार ने कहा कि यह संघर्ष भारत और लोकतंत्र के भविष्य के बारे में है।

विभाजन के बाद के पाकिस्तान से की तुलना

हबीब ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई कुछ नीतियां हिंदुत्व आंदोलन की दीर्घकालिक परियोजना की अभिव्यक्ति हैं जो काफी हद तक असंतोष और विरोध को दबाने की नीति पर टिकी हुई हैं। साथ ही प्रोफेसर ने कहा कि आज भारत में जो हो रहा है, दुर्भाग्य से विभाजन के बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा था उससे अलग नहीं है। उन्होंने कहा पाकिस्तान के शासक वर्गों की तरह ही वर्तमान भारतीय शासकों को पता है कि धर्म जनता की भावनाओं को उत्तेजित करता है और उनकी राजनीतिक शक्ति इस कथा पर टिकी हुई है।

मुसलमान काफी समय से आक्रोशित थे

सीएए पर सार्वजनिक आक्रोश के अचानक फैलने की जड़ों की व्याख्या करते हुए, हबीब ने कहा कि मुसलमानों में काफी समय से आक्रोश व्याप्त है। हालांकि यह नाराजगी पिछले कुछ दिनों के दौरान ही सामने आई है क्योंकि अब वे लोग ऐसा अनुभव कर रहे हैं कि हिंदू राष्ट्र का मुद्दा गंभीर रूप ले रहा है जैसा कि सरकार के कुछ हालिया फैसलों में भी देखा जा सकता है।

एनपीआर में 7 रेसकोर्स बता दें पताः अरुंधति राय

वहीं, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने बुधवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।  अरुंधति रॉय सीएए  के विरोध में दिल्ली यूनिवर्सिटी में जमा हुए कई यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने पहुंची थीं। उनके साथ फिल्म अभिनेता जीशान अय्यूब भी पहुंचे। उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि जब अधिकारी एनपीआर के लिए आपका डेटा लेने के लिए आपके घर आएं तो आप अपना नाम और पता गलत बता दीजिए। आप पता 7 रेस कोर्स बता दें।




 
 





 



 

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TAGS: suppression of dissent, not seen, colonial period, Irfan Habib.
OUTLOOK 25 December, 2019
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