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08 March 2019

ओवैसी से लेकर सुब्रह्मण्यम स्वामी तक, अयोध्या मामले में मध्यस्थों के नाम पर किसने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को शुक्रवार को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। अदालत ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला को मध्यस्थता के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस समिति में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीराम पंचू शामिल हैं। अब कोर्ट के इस फैसले के बाद इस पर राजनीतिक बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। कई राजनीतिक दल के नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

पैनल चीफ नियुक्त किए गए सेवानिवृत्त न्यायाधीश इब्राहिम कलीफुल्ला ने कहा, 'मैं समझता हूं कि उच्चतम न्यायालय ने मेरी अध्यक्षता में एक मध्यस्थता समिति बनाई है। मुझे अभी ऑर्डर की कॉपी नहीं मिली है। मैं कह सकता हूं कि अगर समिति का गठन किया गया है तो हम इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।'

मध्यस्थता समिति के सदस्य आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने कहा, 'सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना- इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।'

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वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने अदालत के आदेश पर कहा, 'हम पहले ही कह चुके हैं कि हम मध्यस्थता में सहयोग करेंगे। अब हमें जो भी कहना है वह हम बाहर नहीं बल्कि मध्यस्थता पैनल के सामने कहेंगे।'

रविशंकर के नाम पर ओवैसी को ऐतराज

एआईएमआईएमचीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी श्रीश्री रविशंकर के नाम पर आपत्ति जताई है। ओवैसी ने कहा कि अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, तो अब श्रीश्री रविशंकर को निष्पक्ष रहना होगा। उम्मीद है कि मध्यस्थ अपनी जिम्मेदारी समझेंगें। असदुद्दीन ओवैसी ने अदालत के आदेश पर कहा, 'श्री श्री रविशंकर जिन्हें कि मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त किया गया है उन्होंने पहले यह बयान दिया था कि 'अगर अयोध्या पर मुसलमानों ने अपना दावा नहीं छोड़ा, तो भारत सीरिया बन जाएगा।' बेहतर होता यदि न्यायालय किसी तटस्थ व्यक्ति की नियुक्त करता।'

विवादित जमीन पर मंदिर बनना है: सुब्रह्मण्यम स्वामी

बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी गठित है। यह कुछ मापदंडों के तहत काम करता है। बाबरी मस्जिद बनने से पहले वहां राम मंदिर था। अगर राम वहां पैदा हुए थे तो मुझे वहां प्रार्थना करने का मौलिक अधिकार है। विवादित जमीन पर मंदिर बनना है। क्या इसके बगल में मस्जिद बनाई जा सकती है? मेरा जवाब है- नहीं। मस्जिद कहीं भी बनाई जा सकती है।

वहीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि मंदिर वहीं बनना चाहिए जहां भगवान राम का जन्म हुआ। उन्होंने कहा, 'मैं उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करुंगी। मैं अदालत द्वारा नामित मध्यस्थों पर टिप्पणी नहीं करना चाहती। लेकिन एक हिंदू होने के नाते मैं सोचती हूं कि मंदिर वहीं बनना चाहिए जहां भगवान राम का जन्म हुआ है।'

बसपा ने किया स्वागत

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अदालत के फैसले पर कहा, 'अयोध्या मामले का सभी पक्षों को स्वीकार्य तौर पर निपटारे के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैजाबाद में बंद कमरे में बैठकर मध्यस्थता कराने का जो आदेश आज पारित किया है वह नेक नीयत पर आधारित ईमानदार प्रयास लगता है, इसलिए बीएसपी उसका स्वागत करती है।'

मध्यस्थता होनी ही थी तो सैकड़ों लोगो की जान क्यों गई: शिवसेना

अयोध्या मामले पर शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि ये कोर्ट का फैसला है, लेकिन कई लोगो को मध्यस्थता का रास्ता मंजूर नहीं है। निर्मोही अखाड़े को श्रीश्री रविशंकर के नाम से विरोध है, सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इसका विरोध किया है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगेगा। अगर मध्यस्थता होनी ही थी तो सैकड़ों लोगो की जान क्यों गई? हमारी अभी भी मांग है कि 65 एकड़ की जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देनी चाहिए। अब लोकसभा चुनाव राम मंदिर के विषय में नहीं तो कश्मीर और अतंकवाद के मुद्द पर लड़े जाएंगे।

 

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TAGS: supreme court, orders, mediation in ayodhya case, reactions, different parties
OUTLOOK 08 March, 2019
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