दहेज उत्पीड़न मामलों में सीधे गिरफ्तारी पर फिर से विचार कर सकता है सुप्रीम कोर्ट
दहेज उत्पीड़न मामले में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक संबंधी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार कर सकता है। शीर्ष अदालत ने ऐसे मामलों की जांच के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इसके संकेत दिए। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आइपीसी की धारा 498ए यानी दहेज उत्पीड़न को लेकर कानून पहले से ही है। ऐसे में जांच कैसे की जाए इसको लेकर गाइडलाइन बनाने का आदेश कैसे दे सकते हैं?
एनजीओ मानव अधिकार मंच की ओर से दाखिल इस याचिका पर अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते में होगी। याचिका में कहा गया है कि दहेज उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए गाइडलाइन बनाने की जरूरत है, क्योंकि अदालत के पूर्व के फैसले के बाद दहेज उत्पीड़न का कानून कमजोर हो गया है। याचिका में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2012 से 2015 के बीच 32 हजार महिलाओं की मौत दहेज उत्पीड़न के कारण हुई।
याचिका में दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से दोबारा गौर करने की मांग की गई है। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह फैसले का अध्ययन कर रही है। इसे कैसे लागू किया जाए और इसका दहेज उत्पीड़न के मामलों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इस पर विचार कर रही है। इसी साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आइपीसी की धारा-498 ए यानी दहेज प्रताड़ना मामले में गिरफ्तारी सीधे नहीं होगी। अदालत ने कहा था कि ऐसे मामलों को देखने के लिए हर जिले में एक परिवार कल्याण समिति बनाई जाए और समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए उससे पहले नहीं।