जंतर-मतंर से पूर्व सैनिकों का तंबू उखाड़ा
दो साल से अधिक समय से वन रैंक-वन पेंशन (ओआरपी) योजना लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों के तंबुओं और अस्थायी ढांचे सोमवार को जंतर-मंतर से हटा दिए गए। पुलिस ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई है। एनजीटी ने पांच अक्टूबर को इस इलाके में धरना-प्रदर्शन पर रोक का आदेश दिया था।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को पूर्व में ही एनजीटी के आदेश के बारे में बता दिया गया था। उन्हें यहां से जाने या अदालत से स्थगन आदेश हासिल करने के लिए कहा गया था। हालांकि पूर्व सैन्यकर्मियों ने इसे आवाज दबाने का एक प्रयास करार दिया है। घटनास्थल पर प्रदर्शनकारियों में शामिल मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने बताया कि पुलिस और एमसीडी के अधिकारी एक जेसीबी मशीन के साथ आए और उनके तंबुओं और अन्य अस्थाई निर्माणों को ध्वस्त कर दिया।
उन्होंने बताया, वे हमारे उपकरण और बिस्तर जैसे अन्य सामान भी सुबह करीब आठ बज कर 45 मिनट पर लेकर चले गए। हम ओआरओपी योजना लागू करने की मांग को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा यदि किसी अधिकरण से कोई आदेश आता भी है तो चीजों को लागू करने का एक तरीका होता है। उन्होंने जो किया है वह पूरी तरह से गलत और अन्यायपूर्ण है। सिंह ने बताया कि जिस समय यह अभियान चलाया गया उस समय एक पूर्व सैन्यकर्मी की पत्नी तंबू में थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि किसी को कोई चोट नहीं आई। पुलिस ने किसी तरह के बल प्रयोग से इंकार किया है।
एनजीटी ने ऐतिहासिक जंतर-मंतर के आसपास सभी तरह के प्रदर्शन और धरने आयोजित करने पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था ऐसी गतिविधियां पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करती हैं। उसने एनडीएसमी को सभी अस्थायी ढांचे हटाने और एनडीएमसी चेयरमैन, दिल्ली पुलिस प्रमुख व दिल्ली सरकार को कार्रवाई कर पांच हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए थे। एनजीटी ने यह आदेश ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर दिया था।