Advertisement
08 November 2018

नोटबंदी के दौर की पांच कहानियां, जनता ने कुछ इस तरह झेली थी परेशानियां

नोटबंदी के उस दौर को कौन भूला सकता है, जब पूरा भारत कतारों में तब्दील हो गया था। पुराने नोट के बदले नए नोट लेने की जद्दोजहद आज भी अंदर तक हिला कर रख देती है। लंबी-लंबी कतारें, यह भी तय नहीं कि बैंकों के पास कब कैश खत्म हो जाए। सुबह से शाम तक लाइन में खड़े लोगों को कई दफा खाली हाथ भी घर लौटना पड़ता था। कई आवश्यक काम पैसे के बगैर थ्‍ाम से गए थे। इस दौरान हर रोज सरकार के नए नियम... ऐसे में नोटबंदी के दौरान कई ऐसी घटनाएं घटीं जो आज भी दो साल पहले के फ्लैशबैक में ले जाती हैं- 

1-शादी टूटी

 नोटबंदी के दौरान जन जीवन में कई अड़चनें आईं। यहां तक कि इसकी वजह से एक लड़की की शादी ही टूट गई। नोटबंदी के आठ महीने पहले शिखा (22) की सगाई हुई थी। आरोप लगाया गया कि लड़के के परिवार ने पैसे की वजह से शादी से दो दिन पहले सगाई तोड़ दी। जहांगीरपुरी की शिखा की सगाई नोएडा के कुणाल से तय हुई थी। 25 नवंबर 2016 को उनकी शादी होनी थी। लड़की के चाचा तिलक राज सिंह के मुताबिक लड़के के परिवार वाले एक महंगी कार, हीरे की ज्वैलरी और नकदी मांग रहे थे। उन्होंने बताया कि वे नोटबंदी की वजह से ज्यादा रकम जुटाने में नाकाम रहे और उनकी मांग पूरी नहीं कर सकते। वे अब शादी तोड़ रहे हैं। शिखा के पिता इंद्रजीत मेहता दिल्ली में एक व्यवसायी हैं। 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाने की वजह से वह सिर्फ 2.5 लाख रुपये ही जुटा सके।

Advertisement

 

2-कतार में बुजुर्ग की मौत

 नोटबंदी की वजह से कई लोगों की मौत होने की घटनाएं सामने आईं। ऐसे ही हरियाणा के फतेहाबाद स्थित टोहाना हलके में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाहर कैश निकलवाने के लिए लाइन में लगे 60 वर्षीय देसराज की ह्रदय गति रुकने से मौत हो गई थी। मृतक के घर 18 दिसंबर 2016 को दो बेटों की शादी थी। इसी काम के लिए पैसे निकलवाने के लिए बुजुर्ग कई दिनों से लाइन में लगने से परेशान था।

 खबरों के अनुसार एसबीआई बैंक के बाहर वह बुजुर्ग व्यक्ति लाइन में खड़ा था। अचानक उसे चक्कर आ गया तो वह नजदीक फुटपाथ पर बैठ गया, जहां वह बेहोश हो गया जिसके चलते उसका सिर फुटपाथ पर जोर से टकराया और खून बहने लगा।

 

3-रूसी राजनयिक को हुई थी खाने की दिक्कत

 नोटबंदी से सिर्फ भारत के नागरिक ही प्रभावित नहीं हुए बल्कि इसका असर विदेशियों पर भी बराबर पड़ा। दिल्ली में मौजूद कई देशों के राजनयिक भी नोटबंदी की दिक्कतों से अछूते नहीं रहे। इस दौरान रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, यूक्रेन, इथियोपिया और सूडान के डिप्लोमैट्स ने भारतीय विदेश मंत्रालय को लेटर लिखकर कैश की किल्लत का जिक्र किया था। राजधानी के रेस्टोरेंट्स में लंच-डिनर के पेमेंट को लेकर आ रही दिक्कतों पर रूस के एम्बेसडर एलेक्सजेंडर कदाकिन ने 2 दिसंबर को लेटर लिखकर नाराजगी जताई थी। वहीं एक अन्य राजनयिक ने कहा, "नोटबंदी से हो रही दिक्कतों को लेकर फॉरेन मिनिस्ट्री से कई बार संपर्क किया, लेकिन परेशानी दूर नहीं की गई। एम्बेसीज का मानना है कि उनके अपने फंड पर लिमिट तय करना वियना कन्वेंशन का वॉयलेशन है।"

 

4-कंपनियों ने मजदूरों को लगाया था लाइन में

 कई फैक्ट्री मालिक और कारोबारियों ने नोट बदलवाने के लिए अपने स्टाफ और मजदूरों को बैंकों-पोस्ट ऑफिस की कतार में लगाया था। कई लोगों ने तो इसके लिए बाकायदा मजदूरों को हायर भी किया। नोटबंदी के बाद सरकार ने नोट बदलवाने की आखिरी तारीख 30 दिसंबर तय की थी। एक आदमी के लिए पहले यह लिमिट 4000 हजार रुपये थी, लेकिन बाद में सरकार ने यह लिमिट घटाकर 2000 कर दी थी। नोट बदलवाने में गड़बड़ी की खबर आई तो सरकार ने इसके लिए बैंक आने वालों की अंगुली पर स्याही लगाने का ऑर्डर दिया था, हालांकि बाद में कुछ राज्यों में उपचुनाव को देखते हुए इसे वापस ले लिया गया।

 

5- नोटबंदी की वजह से टला बीजेपी नेता का लिवर ट्रांसप्लांट

 नोटबंदी के फैसले का असर न सिर्फ आम लोगों पर पड़ा बल्कि अहम पदों पर रहे नेताओं पर भी पड़ा। नोटबंदी के दौरान मध्यप्रदेश के एक भाजपा नेता और लिधौरानगर के पार्टी अध्यक्ष हरिकृष्ण गुप्ता का लिवर फेल हो गया था। उनके इलाज पर लगभग 19 लाख रुपये खर्च होने थे इसके लिए परिवार ने 11 लाख रुपये जमा भी कर लिए थे और बाकी पैसा अपना मकान बेच कर पूरा करने वाले थे। लेकिन नोटबंदी के चलते अस्पताल ने उनसे पुराने रुपये लेने से मना कर दिया। वहीं नोटबंदी के बाद उनका मकान खरीद रहे व्यक्ति ने भी उसे लेने से मना कर दिया। ऐसे में बीजेपी नेता के परिवार के सामने संकट खड़ा हो गया। हरिकृष्ण गुप्ता के पुत्र अमित गुप्ता के मुताबिक, डाक्टर ने जल्द से जल्द लिवर ट्रासप्लांट कराने के लिये कहा था। लेकिन पैसों के इंतेजाम में देरी हुई और उसके बाद 13 नवंबर को ऑपरेशन तय हुआ जिसे पुराने नोटों के चलते टालना पड़ा। उनके परिवार वालों का कहना था कि इन्होंने कई भाजपा नेताओं से संपर्क किया लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: The 5 stories, demonetization period, public had faced difficulties, india, RBI, modi
OUTLOOK 08 November, 2018
Advertisement