गोरक्षा को संघर्ष का रूप देना सामाजिक पाप: आरएसएस
शनिवार को पुणे में आरएसएस के कार्यक्रम के दौरान आरएसएस के सह सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा, “गाय हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है, लेकिन गोरक्षा का मकसद किसी धर्म या समुदाय के विरोध में नहीं है। गोरक्षा को लेकर राजनीति करना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे संघर्ष का रूप देना सामाजिक पाप है।”
जोशी ने कहा कि गाय प्राचीन परंपरा से भारत के कृषि और आर्थिक विकास का साधन भी है। गोरक्षण को लेकर राजनीति करना सही नहीं है।
जोशी ने कहा, "हिंदू समाज में कई दोष हैं, लेकिन किसी न किसी महापुरुष ने यह दोष दूर करने का प्रयास किया है। आरएसएस ने देश को नया विचार नहीं दिया है, बल्कि प्राचीन परंपरा से चिंतन कर संघ ने अपने विचार बनाए हैं।" "जब हमारा देश प्राचीन परंपरा से दूर गया, तब हिंदुओं का संगठन कमजोर हुआ था और इससे देश की हानि हुई।"
गौरतलब है कि अप्रैल में संघ प्रमुख मोहनभागवत ने गोहत्या के खिलाफ देश में एक कानून बनाने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि इस बुराई का अंत होना चाहिए। भागवत ने गोरक्षक समूहों के हिंसा करने की निंदा भी की थी। उन्होंने कहा था कि गायों की रक्षा करते हुए ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे कुछ लोगों की मान्यता आहत हो,या जो हिंसक हो।