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30 April 2015

सरकार काम करने वाले एनजीओ को डराना चाहती है

विजयैन

इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए आज दिल्ली के वाईडब्ल्यूसीए में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 50 एनजीओ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

 जनअधिकार संघर्ष समिति की ओर से आयोजित इस बैठक में एनजीओ के खिलाफ सरकार की कार्रवाई की सख्त आलोचना की गई। मुख्य वक्ताओं में ग्रीनपीस की प्रिया पिल्लई, सबरंग संस्था की ओर से अचिन वानाइक, इंसाफ की ओर से अनिल चौधरी, और विल्फ्रेड डिकॉस्टा युवा वकील कबीर दीक्षित आदि ने भाग लिया। इससे पहले सरकार ग्रीनपीस फाउंडेशन की प्रिया पिल्लई और गुजरात सरकार के लिए परेशानी खड़ी करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सरकार मोर्चा खोल चुकी है।

हाल ही में सरकार ने एनजीओ के खिलाफ जो कार्रवाई की है वह विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन करने के संबंध में है। सेमिनार में इस बात पर विस्तार से चर्चा हुई कि सरकार एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई करके जनता को भटकाना चाहती है। ताकि जनता भूमि अधिग्रहण, रोजगार, पर्यावरण और आदिवासी मुद्दों पर न सोच सके। बेशक जिन एनजीओ ने सरकार को अपने काम का लेखा-जोखा नहीं दिया है सरकार उनके खिलाफ कदम उठाए लेकिन उन एनजीओ को निशाना बनाना एकदम गलत है जिन्होंने सरकार को अपनी फंडिंग और व्यय संबंधी तमाम कागजात जमा करा दिए हैं। सेमिनार में कहा गया कि जो एनजीओ असल में काम कर रहे हैं, सरकार इस प्रकार की कार्रवाई से उन्हें डराना चाहती है।

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TAGS: एनजीओ, सरकार, कार्रवाई, सेमिनार, विदेशी चंदा, देश, government, Action, Foreign Donations, NGOs, Greenpeace Foundation, Teesta Sitlvadh, FCRA
OUTLOOK 30 April, 2015
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