स्कर्ट नहीं सोच का खतरा
महेश शर्मा संघ के समर्पित स्वयंसेवक रहे हैं और एक डॉक्टर होने के साथ बड़े अस्पताल को बड़ी संख्या में डॉक्टरों-नर्सों की सेवा से चलाते रहे हैं। इसलिए उनकी टिप्पणी पर सचमुच आश्चर्य होता है। वह शायद भूल जाते हैं कि भारत के लाखों घरों में ही नहीं धार्मिक उपासना केंद्रों पर नदी-तालाब, कुएं-कुंड के जल से स्नान के बाद न्यूनतम वस्त्रों में पूजा-अर्चना का प्रावधान है। हमारी दादी-नानी केवल स्वच्छ सादी बारीक वस्त्र पहनकर पूजा करती रही हैं। कई उपासना स्थलों पर तो स्नान के बाद स्त्री-पुरुष वहीं नाम मात्र का कपड़ा ढंककर पूजा-पाठ करते हैं। पुजारियों के वस्त्र तो और भी न्यूनतम होते हैं। यों धार्मिक स्थलों पर भीड़ अधिक होने पर यदा-कदा महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की घटनाएं होती हैं। लेकिन गणेशोत्सव, दुर्गा पूजा, पुरी की रथ-यात्रा, हरिद्वार, इलाहाबाद, नासिक, उज्जैन के कुंभ मेलों के दौरान, हजारों-लाखों स्त्री-पुरुष नदी तटों पर स्नान और न्यूनतम वस्त्र में दिखाई देते हैं, तो भी कोई बलात्कार या दुर्व्यवहार के अपराध नहीं होते। फिर भारत सरकार विदेशी पर्यटकों को क्यों चेतावनी दे रही है? अधिकांश विदेशी पर्यटक भारत में हर जगह आतिथ्य-सत्कार, स्नेहिल व्यवहार से गदगद होते हैं। गुजरात, राजस्थान, कश्मीर से केरल और असम-मेघालय के छोटे शहरों में तो और भी कम खतरे होते हैं। महानगरों में सामान्यत: लोग अपनी समस्याओं अथवा मस्ती में रहने के कारण किसी दुर्घटना, छेडख़ानी के झगड़े में बीच-बचाव से बचते हैं। छोटे नगरों में तो थोड़ी गड़बड़ देख आस-पास के पचीसों लोग बीच-बचाव को आ जाते हैं। और पुलिस के आने से पहले ही बदमाशी या अपराध करने वाले की जमकर पिटाई कर महिला को बचा देते हैं। जहां तक अपराध की बात है भारतीय हों या विदेशी थोड़ी सतर्कता रखनी ही होती है। मंत्री जी जरा पता लगाएं खजुराहो तो काम क्रीड़ा की मूर्तियों के लिए विख्यात है, लेकिन वहां भी विदेशी पर्यटकों के साथ छेडख़ानी की घटना नहीं हुई। सोच ही खराब हो, तो वह भारत में ही नहीं न्यूयार्क, लंदन, रोम, बर्लिन, काहिरा में भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हो सकता है। लंदन से ज्यादा मुंबई, अहमदाबाद, उदयपुर, कोच्ची, अमृतसर जैसे शहरों में भी देर शाम या आधी रात को भी अकेली महिलाएं सुरक्षित घूम सकती हैं।