Advertisement
11 January 2016

समाज में आलोचना व सवाल उठाने के प्रति असहिष्‍णुता: उप राष्ट्रपति

file photo

रविवार को राज्‍य सभा टीवी को नए रूप में लांच करने के बाद वैज्ञानिक प्रवृत्ति पर एक आयोजित परिचर्चा में उप राष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में वैज्ञानिक सोच की कमी अक्सर देखी जाती है। पारिवारिक जीवन में हम सवाल स्वीकार नहीं करते। ज्यादातर माता-पिता को नहीं पसंद होता है कि उनके बच्चे सवाल-जवाब करें। स्कूलों में नर्सरी से लेकर हाई स्कूल तक शिक्षक बच्चों द्वारा सवाल करने पर बरस पड़ते है। काॅलेज और विश्‍वविद्याालयों में सवालों को गुस्ताखी माना जाता है और समझा जाता है कि छात्र शिक्षक के ज्ञान पर संदेह कर रहा है। 

आलोचना एवं सवाल उठाए जाने के प्रति असहिष्‍णुता का दावा करते हुए हामिद अंसारी ने कहा, तथ्यों से मिथकों को, पौराणिक कथाओं से इतिहास को, वैज्ञानिक तौर पर सत्यापित तथ्यों से अास्‍था को अलग करने की कोशिशों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। और तो और, तंत्र-मंत्र को वैज्ञानिक और अंधविश्वास को संस्कृति कहा जा रहा है। एेसे रवैयों ने अक्सर अप्रिय एवं हिंसक मोड़ ले लिया है। किताबें प्रतिबंधित की गईं या उन्हें प्रसार से वापस ले लिया गया। पुस्तकालयों को जला दिया गया। असहमति जाहिर करने वाले लोगों का बहिष्कार किया गया या उन्हें जान से मार दिया गया। सामाजिक शांति भंग की गई और नागरिकों के साथ हिंसा की गई।

उप राष्‍ट्रपति ने कहा, इन सभी मामलों में आम धारणा ये है कि सवाल करने से भावनाएं आहत होंगी, मौजूदा व्यवस्था को नुकसान होगा, सामाजिक व्यवस्था बाधित होगी या यह कमजोर पड़ जाएगी।अंसारी ने कहा कि यहां तक कि वैज्ञानिक भी इन प्रथाओं के सामने झुक जाते हैं जिनसे वैज्ञानिक सोच को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली युवा मस्तिष्क में इस सोच का संचार करने के लिए पर्याप्त रूप से प्रभावी नहीं है। नवाचारों और वैज्ञानिक शोध के पोषण और उन्हें बनाए रखने की पूर्व शर्त समाज में वैज्ञानिक सोच की स्वीकार्यता है। 

Advertisement

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: उप राष्‍ट्रपति, हामिद अंसारी, असहिष्‍णुता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आस्‍था, अंध विश्‍वास, शिक्षा
OUTLOOK 11 January, 2016
Advertisement