Advertisement
31 August 2016

एक लाख करोड़ के बावजूद प्यासे

गूगल

यों अधिकारियों की तुलना बंदर से करना तो अनुचित है ही, अच्छी-खासी मोटी तनख्वाह-भत्ते पाने वाले अधिकारियों का एक वर्ग सारी सुख-सुविधाओं के बावजूद प्रशासनिक कुशल परिणाम के बजाय प्यासों की तरह अधिक मीठी मलाई का आनंद पाना चाहते हैं। केंद्र सरकार ने करीब 48 लाख कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में मिली वेतन वृद्धि का सात महीने का बकाया भी आज उनके खाते में डलवा दिया। सरकार द्वारा बढ़ाई गई तनख्वाह के आधार पर सचिव को 2 लाख 50 हजार, अतिरिक्त सचिव को 1 लाख 82 हजार, संयुक्त सचिव को 1 लाख 44, 700 रुपये से लेकर सामान्य क्लर्क को 35,400 रुपये तनख्वाह प्रतिमाह मिल रही है। यही नहीं सरकार लगभग 33 लाख कर्मचारियों के दो साल के बोनस के रूप में 3840 करोड़ रुपये देने जा रही है। फिर भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। वास्तविकता यह है कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेट कंपनियों को छोडक़र निजी क्षेत्र की सामान्य कंपनियों-संस्थानों में इस स्तर का अधिकतम और न्यूनतम वेतन नहीं होता। सरकार श्रम कानूनों में सुधार कर निजी क्षेत्र में कर्मचारियों की बर्खास्तगी और अधिक आसान करने वाली है। इस कानून के बावजूद निजी क्षेत्र की कंपनियों में प्रबंधकों एवं कर्मचारियों को हर वर्ष उनके कार्य, संस्थान को उससे हुए लाभ के आधार पर ही रखा जाता है। सरकारी अधिकारियों को वेतन-भत्तों के साथ आवास-वाहन सुविधा एवं जीवन-पर्यंत परिवार सहित नि:शुल्क चिकित्सा सुविधाएं मिलती हैं। अधिकारी गंभीर बीमारी और ऑपरेशन इत्यादि पर कई लाख नहीं करोड़ रुपये तक के चिकित्सा बिल का भुगतान पा लेते हैं। दूसरी तरफ जनता के लिए बनी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में लाल फीताशाही ही आड़े आती है। अधिकारी हर कदम पर अड़ंगा डालने का प्रयास करते हैं। पश्चिमी देशों से प्रतियोगिता की बात की जाती है। लेकिन उनकी तरह जिम्मेदारी और जवाबदेही के लिए ब्यूरोक्रेसी कब तैयार होगी?

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: एक लाख करोड़ रुपये, सरकारी अधिकारी, वेतन, भत्ते, केंद्र सरकार, केंद्रीय मंत्री, बोनस, निजी कंपनियां
OUTLOOK 31 August, 2016
Advertisement