देवबंदी- बरेलवी मसलक को साथ लाने की पहल
बरेलवी मसलक के धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा खां ने आज टेलीफोन पर भाषा को बताया कि हाल में उन्होंने देवबंद में दो मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी के बाद दारल उलूम देवबंद जाकर बरेलवी और देवबंदी मसलक के लोगों को अपनी-अपनी मान्यताएं बरकरार रखते हुए एकजुट होने की पेशकश की थी।
खां का दावा है कि देवबंद के जिम्मेदार और ओहदेदार लोगों ने उनकी इस कोशिश में साथ देने का भरोसा दिलाया है। हालांकि दारुल उलूम देवबंद का कहना है कि अगर एक व्यक्ति के बजाय पूरा बरेलवी मसलक एकजुटता की तरफ बढ़े तो अच्छा होगा। दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने कहा कि तौकीर रजा खां ने देवबंद पहुंचकर बरेलवी और देवबंदी मसलक के लोगों को मुस्लिम कौम की तमाम समस्याओं को सुलझाने के लिए एक मंच पर लाने की पेशकश की थी। चूंकि वह इत्तेहाद मिल्लत काउंसिल जैसे सियासी संगठन के अध्यक्ष भी हैं, लिहाजा उनके इस प्रस्ताव को देवबंद की समाजी तनजीम जमीयत-उलमा-ए-हिंद के सामने रख दिया गया है। इस पर वही कोई फैसला लेगा।
उन्होंने कहा कि देवबंद बहुत पहले से ही बरेलवी मसलक के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक रहा है और उसके हर कार्यक्रम में बरेलवी उलमा को आमंत्रिात किया गया है लेकिन उसकी तरफ से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सका। नोमानी ने कहा कि बेहतर होता, अगर बरेलवी मत के मानने वाले एक शख्स के बजाय पूरा बरेलवी मसलक भी देवबंदियों के साथ मिलकर सभी मुसलमानों की समस्याएं सुलझाने की कोशिश करता। बहरहाल, मौलाना तौकीर रजा खां की पेशकश के प्रति देवबंद का रुख सकारात्मक है।
इधर, खां ने देवबंद जाने के मकसद का जिक्र करते हुए कहा कि वह किसी सियासी मकसद से देवबंद नहीं गए थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक एजेंडा उनके सामने आया है जिसमें मुसलमानों को हिन्दुओं के बजाय मुसलमानों को मुसलमानों से लड़ाने की साजिश रची गई है। चूंकि हमें अपने मुल्क से प्यार है और उसके लोकतंत्र की हिफाजत की जिम्मेदारी भी हमारी है, इसलिए हम सभी मुसलमानों को मसलक के मतभेद परे रखकर एकजुट होना होगा।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के आरोप में मुस्लिम नौजवानों को फंसाया जा रहा है। उन्हें बचाने और मुसलमानों के दीगर मसायल हल करने के लिये एक दूसरे के विरोधी माने जाने वाले देवबंदी और बरेलवी मसलक के लोगों को अपने-अपने अक़ीदे पर क़ायम रहते हुए एक साथ आकर काम करना चाहिए। खां ने कहा कि उनकी कोशिश है कि जून के पहले हफ्ते से शुरू हो रहे रमजान से पहले दोनों मसलक के लोग बैठक करके एक न्यूनतम साझा एजेंडा तय कर लें। एजेंडा में यह तय किया जाएगा कि बरेलवी और देवबंदियों को किन-किन बिंदुओं पर एक साथ चलना है। बाकी दोनों मसलकों की मस्जिद और मदरसे अलग-अलग ही रहेंगे।