पटाखा विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की पुनर्विचार याचिका, प्रदर्शन की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने पर रोक के आदेश के बाद दिल्ली के पटाखा व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है। दिल्ली की सबसे बड़ी होलसेल मार्केट सदर बाजार में सैकड़ों पटाखे की दुकानें हैं, व्यापारियों का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लाइसेंस मिला था जिसके बाद उन्होंने लाखों का माल भर लिया था। लेकिन अब नए आदेश के बाद वो सड़क पर आ जाएंगे।
कोर्ट में दाखिल की याचिका
पीटीआइ के मुताबिक, पटाखा व्यापारियों की एसोसिएशन ने बिक्री पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई शुक्रवार को होगी। कई व्यापारी संघ का साथ मिलने के बाद दिल्ली के पटाखा कारोबारी अब बड़े प्रदर्शन की तैयारियों में जुट गये हैं। सूत्रों का कहना है कि ये प्रदर्शन कोर्ट के करीब हो सकता है। व्यापारी संगठन को राजनीतिक पार्टियों का भी साथ मिला है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के अलावा अब बीजेपी से जुड़े व्यापारी संगठन भी पटाखा विक्रेताओं के हक में उतर रहे हैं।
भूख हड़ताल और आत्मदाह की धमकी
सदर बाजार में पटाखे की दुकान चलाने वाले हरजीत सिंह छाबड़ा अपनी दुकान के बाहर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। छाबड़ा का कहना है कि रोजी-रोटी की कमाई कोर्ट ने छीन ली, अब कैसे घर चलाएंगे क्योंकि कई लाख के पटाखे का स्टॉक उन्होंने खरीद लिया था, जो अब दुकान के अंदर बंद कर दिया गया है। वहीं कई दुकानदारों ने मिट्टी का तेल लेकर प्रदर्शन किया और आत्मदाह की धमकी दी।
ग्राहक पशोपेश में
पटाखों की खरीदारी करने पहुंचे अधिकतर ग्राहक पशोपेश की स्थिति में नजर आ रहे हैं। बच्चों के साथ बाजार में खरीदारी करते ग्राहकों का कहना है कि बच्चों की जिद को कैसे पूरा करें। कई ग्राहक तो चोरी-छिपे हल्की आतिशबाजी के पटाखे और फुलझड़ी का जुगाड़ करते नजर आए।
मुंबई के रिहायशी इलाकों में भी बैन
दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक बरकरार रखने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम आदेश दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिहायशी इलाके में पटाखे बेचने पर रोक लगा दी है। अदालत ने प्रशासन को आदेश दिया है कि वो रिहायशी इलाके में पटाखे बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे।
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह आदेश पटाखा जलाने के खिलाफ नहीं है, बल्कि सिर्फ रिहायशी इलाकों में बिक्री पर रोक के लिए है। बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर ने न्यायाधीश वीएम कनडेश के पिछले साल के आदेश को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया है।