तीन तलाक सिर्फ इसलिए जारी नहीं रह सकता क्योंकि 1400 साल से लागू हैः केंद्र
केंद्र का पक्ष रखते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि अतीत में नरबलि भी प्रचलित थी तो क्या परंपरा के नाम पर उसे जारी रखना चाहिए? उन्होंने कोर्ट से कहा कि उसे तीन तलाक की संवैधानिक वैधता की जांच करने में हिचकना नहीं चाहिए। इसे खत्म करने से इस्लाम की नींव नहीं हिलेगी। देश के सबसे बड़े सरकारी न्यायिक अधिकारी ने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के बीच का मुद्दा नहीं है।
गौरतलब है कि कल ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया था कि जिस तरह राम के अयोध्या में पैदा होने की बात हिंदुओं की आस्था से जुड़ी है और इसे संवैधानिक आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता उसी प्रकार तीन तलाक 1400 साल से जारी है और मुस्लिमों की आस्था से जुड़ा है। इसे संविधान की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता। सिब्बल ने यह मांग भी की थी सुप्रीम कोर्ट इस बारे में कोई फैसला न ले बल्कि मामले को मुस्लिम समुदाय पर ही छोड़ दे। उन्होंने यह भी कहा था कि मुस्लिमों में भी अब बहुत कम लोग तीन तलाक का इस्तेमाल करते हैं, इसे खत्म करने का काम समुदाय पर ही छोड़ देना चाहिए।
आज की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या मुस्लिम महिलाओं को यह हक दिया जा सकता है कि वो निकाह के समय निकाहनामे में तीन तलाक मंजूर नहीं करने की बात दर्ज करवा सकें? इसपर सिब्बल ने कहा कि यह अच्छा सुझाव है। कोर्ट ने सिब्बल को कहा कि वो इस टिप्पणी से ज्यादा निष्कर्ष न निकालें क्योंकि कोर्ट सिर्फ अलग-अलग संभावनाओं पर विचार कर रहा है।
तीन तलाक के मामले पर अब तलाक के विपक्ष में दलीलें रखी जा रही हैं। केंद्र सरकार इसे खत्म करने के पक्ष में है। उम्मीद की जा रही है कि शुक्रवार तक सभी पक्ष अपनी बात रख लेंगे।