जेएनयू फीस वृद्धि विवाद, सोशल मीडिया पर पुलिस और सरकार के खिलाफ फूटा गुस्सा
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि का मामला न सिर्फ मीडिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी सुर्खियों में छाया रहा। सोमवार को पुलिस और छात्रों के बीच संघर्ष में कई छात्रों के जख्मी होने और उन्हें गिरफ्तार करने की घटना के बाद सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ गुस्सा देखा गया। मंगलवार को यह मुद्दा ट्विटर पर ट्रेंड भी करने लगा। इसमें मुद्दे के समर्थन और विरोध करने वाले दोनों लोग शामिल थे। यहां तक कि मामला राज्यसभा में भी उठा। वहीं, ट्विटर पर #जेएनयूबचाओआंदोलन, स्टैंड विद जेएनयू, इमरजेंसी इन जेएनयू, टैक्सपेयर्स विद जेएनयू, जेएनयू लूट टैक्सपेयर्स, जेएनयू प्रोटेस्ट्स वगैरह नाम से हैशटैग ट्रेड करने लगे।
एक यूजर ने कमेंट किया, “जेएनयू में आंदोलन इस देश में गरीबों के भविष्य के लिए है, जो यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना चाहते हैं।” एक दूसरे ट्विटर ने जेएनयूबचाओआंदोलन, स्टैंड विद जेएनयू, इमरजेंसी इन जेएनयू, टैक्सपेयर्स विद जेएनयू, जेएनयू बचाओ हैशटैग के साथ लिखा, “अगर फीस वृद्धि जारी रहती है, तो सिर्फ अमीरों को ही मौके मिलेंगे।”
एक अन्य ट्विटर यूजर ने सरकार की आलोचना में लिखा कि यह सरकार पिछले छह साल में एक भी यूनिवर्सिटी नहीं बना सकी, लेकिन उसने छह साल में जेएनयू, बीएचयू, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जादवपुर यूनिवर्सिटी को बर्बाद करने की कोशिश की। एक यूजर ने सांसदों और नेताओं को मिलने वाली सुविधाओं को निशाना बनाते हुए लिखा कि उन्हें रहने, 50 हजार यूनिट तक बिजली बिल, फ्री मेडिकल सुविधाएं, 4000 किलोलीटर तक मुफ्त पानी, मुफ्त यात्रा की सुविधा, मुफ्त टेलीफोन बिल और कम कीमत में भोजन जैसी सुविधाएं मिलती हैं। और, ये लोगो ही शोर मचाते हैं कि जेएनयू के छात्र मुफ्तखोरी करते हैं।
एक यूजर ने छात्रों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया। उन्होंने लिखा कि मोदी सरकार नहीं चाहती है कि गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा मिले।